जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं
ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता
एक ही शख़्स था जहान में क्या
ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में
बहुत नज़दीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या
सारी दुनिया के ग़म हमारे हैं
और सितम ये कि हम तुम्हारे हैं
कौन इस घर की देख-भाल करे
रोज़ इक चीज़ टूट जाती है
क्या सितम है कि अब तिरी सूरत
ग़ौर करने पे याद आती है
किस लिए देखती हो आईना
तुम तो ख़ुद से भी ख़ूबसूरत हो
कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई
तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
मुस्तक़िल बोलता ही रहता हूँ
कितना ख़ामोश हूँ मैं अंदर से
इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ
वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैं ने
मुझे अब तुम से डर लगने लगा है
तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या
उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं
हम को यारों ने याद भी न रखा
'जौन' यारों के यार थे हम तो
कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूँ मैं
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएँगे
क्या कहा इश्क़ जावेदानी है!
आख़िरी बार मिल रही हो क्या
और तो क्या था बेचने के लिए
अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं
तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो
मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो
सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर
अब किसे रात भर जगाती है
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