tag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post2563441986687287568..comments2024-02-09T13:59:35.591+05:30Comments on आज की ग़ज़ल : नज़र में सभी की ख़ुदा कर चले -दूसरी किश्तसतपाल ख़यालhttp://www.blogger.com/profile/18211208184259327099noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-56576239552227952372009-09-11T22:34:00.614+05:302009-09-11T22:34:00.614+05:30ये आपने अच्छा किया सतपाल जी की इस बार हर किश्त में...ये आपने अच्छा किया सतपाल जी की इस बार हर किश्त में तीन-तीन ग़ज़ल ही लगा रहे हैं, हमें ज्यादा डूब कर पढ़ने का वक्त मिल रहा है।<br /><br />बर्क़ी साब के तमाम शेरों के अलावा मक्ता खूब पसंद आया!<br /><br />प्रेमचंद साब का वो लोरी वाला शेर अपने-आप में अनूठा है।<br /><br /><br />और नय्यर साब के लगभग हर शेरों के अलावा गिरह ने दिल लूट लिया। जय हो!गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-9089180658436367062009-09-08T17:57:48.892+05:302009-09-08T17:57:48.892+05:30सभी पाठकों का धन्यवाद !सभी पाठकों का धन्यवाद !सतपाल ख़यालhttps://www.blogger.com/profile/18211208184259327099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-13333744545265656302009-09-07T17:41:13.370+05:302009-09-07T17:41:13.370+05:30एक से एक बढ कर गज़लें हैं बर्की जी प्रेमचन्द जी व न...एक से एक बढ कर गज़लें हैं बर्की जी प्रेमचन्द जी व नैयर जी को बहुत बहुत बधाईनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-49929004848865880732009-09-07T17:38:51.094+05:302009-09-07T17:38:51.094+05:30दूसरी किश्त की तीनों ग़ज़लें भी लाजवाब हैं। बर्क़ी...दूसरी किश्त की तीनों ग़ज़लें भी लाजवाब हैं। बर्क़ी आज़मी साहब के ये शेर बहुत अच्छे लगे-<br /><br />कोई उसका इनआम दे या न दे<br />जो था फ़र्ज़ अपना अदा कर चले<br /><br />न होगी कभी जिसकी कम रोशनी<br />वो शम-ए- मुहब्बत जला कर चले<br /><br />तबीयत है बर्क़ी की जिद्दत पसंद<br />किसी ने नहीं जो किया कर चले<br /><br />जनाब प्रेमचंद सहजवाला के ये शेर बहुत ख़ूबसूरत लगे-<br /><br />यहीं से वो गुज़रा किये आजकल<br />यही सोच कर गुल बिछा कर चले<br /><br />सज़ा-ए-कज़ा उन मसीहाओं को<br />जो सच से हैं पर्दा हटा कर चले<br /><br />मेरी हक़-बयानी का ये है सिला<br />वो मेरा घरौंदा जला कर चले<br /><br />जनाब ख़ुर्शीदुल हसन नय्यर के ये शेर बहुत पसंद आए-<br /><br />ग़मो- दर्द जिसने न समझे कभी<br />उसे ज़ख़्मे-दिल क्यों दिखा कर चले<br /><br />जो रस्म-ए-वफ़ा तर्क करते रहे<br />वही बा वफ़ा से गिला कर चले<br /><br />चली ज़ुलमत-ए-शब की आंधी बहुत<br />दीया हम भी सर पर जला कर चलेभूपेन्द्र कुमारhttps://www.blogger.com/profile/16444329594632578134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-47037019586915025572009-09-07T17:31:41.585+05:302009-09-07T17:31:41.585+05:30अपने अपने रंग मेँ है हर ग़ज़ल
दिलकशो पुरकैफ और सहर...अपने अपने रंग मेँ है हर ग़ज़ल<br />दिलकशो पुरकैफ और सहर आफरीँ<br /><br />सब का है रंग-ए-तग़ज़्ज़ुल मुनफरिद<br />हैँ सभी अशआर वेहद दिल नशीँ<br />अहमद अली बर्क़ी आज़मीAhmad Ali Barqi Azmihttps://www.blogger.com/profile/11228201715441418433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-45347895086408836752009-09-07T17:30:16.931+05:302009-09-07T17:30:16.931+05:30bahut khoobsurat ghazalen.
जो अपने थे वो सब दगा क...bahut khoobsurat ghazalen.<br /><br />जो अपने थे वो सब दगा कर चले<br />परायों का अब आसरा कर चले<br /><br />bahut umda she'rgagannoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-46675163170640013772009-09-06T10:03:20.321+05:302009-09-06T10:03:20.321+05:30कोई उसका इनआम दे या न दे
जो था फ़र्ज़ अपना अदा कर ...कोई उसका इनआम दे या न दे<br />जो था फ़र्ज़ अपना अदा कर चले<br />wah wa!!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-24117961612024598142009-09-04T21:27:24.990+05:302009-09-04T21:27:24.990+05:30सभी एक से बढकर एक लाजवाब........सभी एक से बढकर एक लाजवाब........Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.com