tag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post477911000313709816..comments2024-02-09T13:59:35.591+05:30Comments on आज की ग़ज़ल : मात्रिक छंद और बहरसतपाल ख़यालhttp://www.blogger.com/profile/18211208184259327099noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-65952494703453101282020-09-13T07:01:24.284+05:302020-09-13T07:01:24.284+05:30बहुत सुन्दर जानकारी आदरणीय बहुत सुन्दर जानकारी आदरणीय आलोक रंजनhttps://www.blogger.com/profile/16646072958718217933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-4238647689113444762018-12-26T17:26:37.574+05:302018-12-26T17:26:37.574+05:30शुक्रिया ज्ञान वर्धन के लिए एक सवाल है मेरे ज़हन मे...शुक्रिया ज्ञान वर्धन के लिए एक सवाल है मेरे ज़हन में <br />ग़ज़ल लिखें तो पहला मिसरा और दुरसा मिसरा एक ही वाचिक गणना में होगा या मात्रा बदल भी सकती है दोनों मिसरो की Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/01206276825941677337noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-68304158579981211842018-09-09T10:51:33.212+05:302018-09-09T10:51:33.212+05:30Bahut shukuriya ghazal ki beher btane ke liyeBahut shukuriya ghazal ki beher btane ke liyeAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/04059950201262173449noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-89923995729645262182015-10-07T22:59:36.018+05:302015-10-07T22:59:36.018+05:30नमस्कार
अापकी यिन जानकारीअो कि प्रयासका मै सम्मान...नमस्कार<br /><br />अापकी यिन जानकारीअो कि प्रयासका मै सम्मान करता हूँ । हालाकी मै हिन्दू अच्छा नहीँ लिखता, इसका अभ्यास जो नही है । लेकिन मै संस्कृतभाषा व्याकरणका जानकार हूँ । मै अनुरोध करता हूँ कि अापकी यस पोष्ट मै संस्कृत मात्रा छन्दकी चिन्ह लघु/गुरू कि जो उदाहरण मे पेश किये है, वो त्रुटीपूर्ण है । कृपया कुछ अध्ययन करके उसकी सही चिन्ह प्रयोगमे प्रयास करे या किसि व्याकरणविद्का सहयोग लें । <br /><br />धन्यवाद । © Dipendra Kumar Sahayhttps://www.blogger.com/profile/00396197378575056314noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-2076572891555738172011-02-03T02:03:40.143+05:302011-02-03T02:03:40.143+05:30सतपाल जी
जनकारीयुक्त पोष्ट के लिए धन्यवाद ।
गजल ब...सतपाल जी <br />जनकारीयुक्त पोष्ट के लिए धन्यवाद ।<br />गजल बहर में है तब तो बेहतर है ही परन्तु जिस तरह मात्राएँ समान होने के बावजुद बहर में अन्तर पड जाता है उसी तरह हिन्दी छन्द में लिखी कोई कविता की एक पंक्ति लें और उसमें वर्णों को आगे पीछे स्थानान्तरण कर के देखें तो मात्रा तो समान रहेगी पर छन्द बिगड जायेगा । अतः कविता हिन्दी मात्रिक छन्द में नियमपूर्वक लिखि गई हो तो ही वह छन्दयुक्त कविता बनती है । उसी प्रकार नियमपूर्वक हिन्दी मात्रिक छन्द में लिखी गई गजल में मात्रा , लय, तथा वज्न की समस्या नहीं आ सकती बसर्ते कि वह गजल के ही आधारभूत और अपरिहार्य अन्य नियम (विशेषतः काफिया और रदिफ) के अन्तर्गत रहकर रचित हो । फिर भी बहरों में गजल का जो सौन्दर्य है , जो बहार है , वह सभी हिन्दी छन्दों में गजल को बलपूर्वक घसिटने से सायद नहीं प्रकट हो सकेगा । <br />यह तो मैने अपनी मन की बात कह डाली । अब एक अनुरोध भी है । उर्दू गजलों की सभी ज्ञात और प्रचलित बहरों की जानकारी सिद्धान्त एवम् उदाहरणसहित यदि आपके किसी पोष्ट में आईं हों तो कृपया उस के लिए लिंक उपलब्ध करायें तो बहुत आभारी रहूँगा ।Krishna Singh Pelahttps://www.blogger.com/profile/08413192969691238920noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-81696867327687312172010-02-13T09:47:04.334+05:302010-02-13T09:47:04.334+05:30Bhardwaj ji, namaste
aapki baat sahi hai lekin ais...Bhardwaj ji, namaste<br />aapki baat sahi hai lekin aisa shayad ab hone laga hai aur mai niji taur par iske khilaf hoon lekin RP sharma ji jaise aroozee bhi ab ise certify karne lage hain .<br />maine yih bhi kaha ki bahar ke anuroop lay behtar hai aur mai bahar me likhne ke paksh me hoon. aapka virodh sahi hai lekin kya karen , hindi meter me to mana lekin paramprik baharoN me bhi yih ho raha hai. mai bhi aapki tarah iske khilaf hoon lekin kisko samjhaeN..सतपाल ख़यालhttps://www.blogger.com/profile/18211208184259327099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-31209722876369708732010-02-12T20:40:13.919+05:302010-02-12T20:40:13.919+05:30जनाब सतपाल ख्याल साहब, जनाब कतील शिफाई साहब पर आप...जनाब सतपाल ख्याल साहब, जनाब कतील शिफाई साहब पर आपकी जानकारी बहुत अच्छी लगी...वाह वाह... कतील एक शायर जो शोलानवा था...। कतील साहब मुझे हमेश हिंदी सोच के लगे हैं। उनपे कुर्बान कई भाव। इक धूप सी जमी है निगाहों के आस-पास, ये आप हैं तो आप पे कुर्बान जाइए। और <br />ले मेरे तजरुबों से सबक ऐ मेरे रकीब <br />दो चार साल उम्र में तुझसे बड़ा हूं मैं। <br />धन्यवाद। अच्छी पोस्ट के लिए।Navneet Sharmahttps://www.blogger.com/profile/17503086917617110754noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-66395942192625311312010-02-12T13:47:12.154+05:302010-02-12T13:47:12.154+05:30भाई सतपाल जी,
आपकी बहर और मात्रिक छंद पर टिप्पणी...भाई सतपाल जी, <br />आपकी बहर और मात्रिक छंद पर टिप्पणी पढी। <br />उसमें कही गई बात कि 'अगर गज़ल मात्रिक है तो भी <br />सही है'।से यदि यह तात्पर्य कि यदि गज़ल बहर में नही है <br />पर मात्रिक छंद के अनुसार है तो सही है इससे सहमत नही हुआ जा सकता। <br />असल में हिन्दी काव्य में गज़ल विधा ही नही है अतः जिस भाषा के काव्य से गज़ल आई <br />है उसे यदि हिन्दी में अपनाना है तो उसके नियमों का पालन करना नितान्त आवश्यक है <br />चूंकि गज़ल में बहर की मुख्य भूमिका होती है अतः उसे बहर में रखना आवश्यक है। <br />अपनॆ जिस शेर का उदाहरण दिया है उससे भी स्पष्ट है कि ज़रा से हेरफेर से लय अवरुद्ध हो जाती है।chandrabhan bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/09515769930349777559noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-17718986666750305952010-02-11T18:22:10.985+05:302010-02-11T18:22:10.985+05:30सतपाल जी आज की पोस्ट सार्थक हुई वाली बात है . पहली...सतपाल जी आज की पोस्ट सार्थक हुई वाली बात है . पहली बात तो उस्ताद शाईर कतील शिफाई के बारे में और दूसरी बात बह'र-ओ-वज्न को लेकर.. बिच बिच में ऐसी पोस्ट आते रहने से दिमाग का धुल साफ़ होता रहता है ... बहुत ही अछि बात की है आपने ... बढ़ाई आपको..<br /><br /><br />अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-9446758083218131792010-02-09T19:43:44.950+05:302010-02-09T19:43:44.950+05:30मेरे लिये तो बहुत काम की पोस्ट है इसे बूक मार्क कर...मेरे लिये तो बहुत काम की पोस्ट है इसे बूक मार्क कर लिया कई बार पढूँगी। बहुत बहुत धन्यवाद फिर आती हूँनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-74586541404111639142010-02-09T16:48:22.931+05:302010-02-09T16:48:22.931+05:30क़तील शिफाई की ग़ज़लें पढ़कर पुरानी यादें ताज़ा हो ...क़तील शिफाई की ग़ज़लें पढ़कर पुरानी यादें ताज़ा हो गईं। वो जब भी मुम्बई आते थे तो मुझे भी फोन करते थे। बहुत गर्मजोशी से मिलते थे। कानपुर में उनकी एक शागिर्द हैं- रश्मि(सिंह)बादशाह। अच्छी शायरा हैं मगर उनकी रचनाएं कहीं नज़र नहीं आतीं।devmanipandey.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-31820577168382677442010-02-09T14:45:51.060+05:302010-02-09T14:45:51.060+05:30विस्तार से बताने के लिए आपका बहुत शुक्रिया. कातिल ...विस्तार से बताने के लिए आपका बहुत शुक्रिया. कातिल शिफाई के अंदाजे बयान पर हम क्या कहें.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-13492005655619271632010-02-09T11:11:01.356+05:302010-02-09T11:11:01.356+05:30लगा मन की मुराद पूरी हो गयी सतपाल भाई। मैं आपसे कह...लगा मन की मुराद पूरी हो गयी सतपाल भाई। मैं आपसे कहने ही वाला थी कि "आज की ग़ज़ल" के पन्नों पर बीच-बीच में ग़ज़ल-शास्त्र से संबधित चर्चायें भी होती रहनी चाहिये।<br /><br />इसकी जानकारी ति थी तनिक-मनिक किंतु इतने विस्तार से बताने के लिये आभार। इस बहर पे मेरी एक सर्वकालिन पसंदीदा ग़ज़ल है "देर लगी आने में तुमको शुक्र है फिर भी आये तो"...<br /><br />और कतील शफ़ाई की ग़ज़लें तो जैसे एक सदी से गुनगुनाते आ रहे हैं हमसब।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-54028504695583116602010-02-09T09:34:04.294+05:302010-02-09T09:34:04.294+05:30एक लाजवाब प्रस्तुति।
कतील शिफाई साहब का मकाम शाय...एक लाजवाब प्रस्तुति।<br /><br />कतील शिफाई साहब का मकाम शायरी में जहॉं है उसपर तो कहा जा सकता है कि 'हाथ कंगन को आरसी क्या..'।<br /><br />आदरणीय आर पी शर्मा साहब तो पिंगलाचार्य की उपाधि से विभूषित हैं और जो कहते हैं उनके द्वारा किये गये प्रामाणिक अध्ययन पर ही होगा अत: उनकी बात सर माथे पर।<br /><br />मात्रिक छंद हों या बह्र आधारित तो मात्रिक क्रम पर पूर्व निर्धारित हो तो गेयता सरल रहेगी यदि मात्रिक छंद में मात्राओं की कुल अथवा चरणवार गणना के स्थान पर मात्रिक क्रम लिया गया हो और यमाताराजभानसलगा का ध्यान रखा गया हो। अगर एक शेर से दूसरे शेर में क्रम तोड़ दिया गया तो वह शेर ग़ज़ल से बाहर हो जायेगा। <br />2 को 1 1 में तोड़ने की व्यवस्था तो स्थापित बह्रों और उनकी मुज़ाहिफ शक्लों में भी है लेकिन उसके स्पष्ट नियम हैं। जाहीर है कि काफिया और रदीफ तो इस मामले में स्थिर ही रहेंगे बाकी शब्दों में ये खेल हो सकता है और इसपर निर्भर करेगा कि उस स्थान पर 'फा' है, 'ई' है, 'ला' है 'तुन' है 'लुन' वगैरह-वगैरह क्या है। ये तो बारीक बाते हैं जो मुझे लगता है कि लगभग 80 प्रतिशत तक ग़ज़ल सीख चुके शायर ही जानते होंगे। <br />आपने एक अच्छा प्रयास प्रारंभ किया है इस गंभीर विषय को सरल उदाहरणों के माध्यम से समझाने का। <br />आगे आने वाली पोस्ट अगर इसी क्रम में और स्पष्टता ला सकें तो मुझ जैसे बहुत से जिझासु लाभान्वित होंगे।<br /><br />बहुत बहुत बधाई अच्छी ग़ज़लों और आलेख की प्रस्तुति के लिये।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-14629478731631933952010-02-09T07:39:35.232+05:302010-02-09T07:39:35.232+05:30बहुत जानकारीपूर्ण आलेख रहा. आभार!बहुत जानकारीपूर्ण आलेख रहा. आभार!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-57083181842412482602010-02-08T18:25:32.963+05:302010-02-08T18:25:32.963+05:30ग़ज़ल के तकनीकी ज्ञान में तो हम शून्य हैं,पर हाँ श...ग़ज़ल के तकनीकी ज्ञान में तो हम शून्य हैं,पर हाँ शब्दों और उसके भावों को समझने और महसूस करने का ह्रदय ईश्वर ने दिया है...और आप जिन ग़ज़लों से परिचय करवाते हैं,वह ऐसे आनंदित कर जाया करती हैं की हम स्वतः ही यहाँ तक खिंचे चले आते हैं...<br /><br />बहुत बहुत आभार आपका,इन सुन्दर प्रस्तुतियों के लिए...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.com