tag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post6058141553971599814..comments2024-02-09T13:59:35.591+05:30Comments on आज की ग़ज़ल : स्व: शाहिद कबीर की ग़ज़लेंसतपाल ख़यालhttp://www.blogger.com/profile/18211208184259327099noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-84854514759196859042009-07-11T13:04:34.835+05:302009-07-11T13:04:34.835+05:30Satpal ji aise nagine dhoondh laate hain aap gazab...Satpal ji aise nagine dhoondh laate hain aap gazab hai<br /><br />bahut bahut shukriya inko padhwane ke liye<br /><br />har sher itna kaamal kaha hai<br /><br />जो रंग भरदो उसी रंग मे नज़र आए<br />ये ज़िंदगी न हुई काँच का गिलास हुआ<br /><br />Hairaan hoon soch ki gahrayi parश्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-36195234880484868542009-07-10T23:02:17.251+05:302009-07-10T23:02:17.251+05:30आह !
देर से आ रहा हूँ...
अपने प्रिय शायर को देख कर...आह !<br />देर से आ रहा हूँ...<br />अपने प्रिय शायर को देख कर, उनकी ग़ज़लें एक बार फिर से पढ़ कर नशे का आलम है।<br />उनको तो जितना पढ़ा, जितना सुना नशा बढ़ता ही गया है।<br />शाहिद कबीर साब का ये जबरद्स्त फैन आपको सलाम बजाता है सतपाल सर इस प्रस्तुती पर।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-49063590557747546342009-07-07T01:17:06.661+05:302009-07-07T01:17:06.661+05:30शहीद साहब को पढ़ कर बहुत अच्छा लगा आपकी एक दो गजलें...शहीद साहब को पढ़ कर बहुत अच्छा लगा आपकी एक दो गजलें पहले भी पढ़ चूका हूँ <br /><br />आज हम बिछ़ड़े हैं तो कितने रँगीले हो गए <br />मेरी आँखें सुर्ख तेरे हाथ पीले हो गए<br /><br />इस शेर के तो क्या कहने किनती ही बार सुन चूका हूँ जगजीत साहब की आवाज में गजल के तीनो शेर जो जगजीत सिंह ने गए है हमेशा जुबान पर रहते हैं <br />पढ़वाने के लिए धन्यवाद <br /><br />वीनस केसरी <br /><br /><br />आज हम बिछ़ड़े हैं तो कितने रँगीले हो गए <br />मेरी आँखें सुर्ख तेरे हाथ पीले हो गएवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-58433708937123114122009-07-06T22:58:10.977+05:302009-07-06T22:58:10.977+05:30शाहिद कबीर जी को पढ़वाने के लिए बहुत आभार आपका.शाहिद कबीर जी को पढ़वाने के लिए बहुत आभार आपका.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-46882918585873014292009-07-06T13:27:57.819+05:302009-07-06T13:27:57.819+05:30नायाब रचनाएँ
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चर्चा । Discuss INDIAनायाब रचनाएँ<br /><br />---<br /><a href="http://www.charchaa.org/" rel="nofollow">चर्चा । Discuss INDIA</a>Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-81458093356931992642009-07-06T12:33:57.870+05:302009-07-06T12:33:57.870+05:30जो रंग भरदो उसी रंग मे नज़र आए
ये ज़िंदगी न हुई का...जो रंग भरदो उसी रंग मे नज़र आए<br />ये ज़िंदगी न हुई काँच का गिलास हुआ<br /><br />अब तेरी यादों के नशतर भी हुए जाते हैं *कुंद<br />हमको कितने रोज़ अपने ज़ख़्म छीले हो गए<br /><br />सब अपने-अपने जुनूं की अदा से हैं मजबूर<br />किसी ने काट दी सहरा मे कोई घर मे रहा<br /><br />अगर है ज़िस्म तो छूकर मुझे यकीन दिला<br />तू अक्स है तो कभी आइना बना मुझको<br /><br />वाह सतपाल जी कमल के शायर की शायरी से रूबरू करवाया ही आपने...बहुत बहुत बहुत शुक्रिया आपका...ऐसे अजीम शायर को पढना खुशकिस्मती से कम नहीं...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-15233917380285206252009-07-06T11:03:32.440+05:302009-07-06T11:03:32.440+05:30आज हम बिछ़ड़े हैं तो कितने रँगीले हो गए
मेरी आँखें...आज हम बिछ़ड़े हैं तो कितने रँगीले हो गए<br />मेरी आँखें सुर्ख तेरे हाथ पीले हो गए<br /><br />पढ़ते ही एक झंनाटा सा लगा...<br />हैं...ये शे'र है <br />रंगीलापन इतना भी जानलेवा हो सकता है.....??<br />कुर्बान हूँ सरकार...<br />अब आज तो कुछ और ना पढा जाएगा..manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-7513621796895269012009-07-06T10:37:07.150+05:302009-07-06T10:37:07.150+05:30सत्पाल जी बहुत सुन्दर मोती ढूँढ कर लाये हैं आप एक ...सत्पाल जी बहुत सुन्दर मोती ढूँढ कर लाये हैं आप एक एक गज़ल का भाव दिल को छूता है पहली गज़ल तो लाजवाब है <br />मेरी स्व. शाहिद कबीर जी को नमन श्रधाँजली और आपका आभारनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com