tag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post8272288688224605924..comments2024-02-09T13:59:35.591+05:30Comments on आज की ग़ज़ल : गुज़रे वक़्त की बातेंसतपाल ख़यालhttp://www.blogger.com/profile/18211208184259327099noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-33816117405640711832010-02-05T12:22:57.410+05:302010-02-05T12:22:57.410+05:30मजेदार गजलों के लिए आभार !मजेदार गजलों के लिए आभार !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-27388056227806673372010-02-04T18:57:14.377+05:302010-02-04T18:57:14.377+05:30aabhaar.aabhaar.Yogesh Verma Swapnhttps://www.blogger.com/profile/01456159788604681957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-53926461138326807552010-02-03T21:40:35.901+05:302010-02-03T21:40:35.901+05:30गुरु वर द्विज जी की ग़ज़लों के बारे में क्या कहूँ बस...गुरु वर द्विज जी की ग़ज़लों के बारे में क्या कहूँ बस यह कह सकता हूँ के उनके नजदीक हूँ ये मेरा सौभाग्य है ... कुछ एक बार उनसे बात हुई है ये सौभाग्य मिला है मुझे ... मुरीद हूँ की ग़ज़लों ... <br /><br /><br />अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-26991340475888028802010-02-03T17:57:08.602+05:302010-02-03T17:57:08.602+05:30द्विज जी गज़ल उस्ताद हैं उनकी कलम को सलाम ही कर सकत...द्विज जी गज़ल उस्ताद हैं उनकी कलम को सलाम ही कर सकती हूँ। बटालवी की ये गज़ल हर माह जब हम कोई साहित्यिक प्रोग्राम करते हैं तो जरूर सुनते हैं शायद आपने पम्मी हंसपाल का नाम सुना हो लाजवाब आवाज़ और सुर मे गाता है । आसा सिंह मसताना जी की आवाज़ का जादू तो पहले भी देखा है । उन्हें सुनकर सुखद अनुभूति होती है। धन्यवाद इस लाजवाब प्रस्तुति के लिये।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-60145824872907993292010-02-03T17:22:46.618+05:302010-02-03T17:22:46.618+05:30आनंद आ गया ...... शिव कुमार जी का गीत और द्विज़ जी...आनंद आ गया ...... शिव कुमार जी का गीत और द्विज़ जी की लाजवाब ग़ज़ल ......... मज़ा आ गया ........दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-80857028205333477862010-02-03T17:00:56.824+05:302010-02-03T17:00:56.824+05:30द्विज जी की गज़लें
तो जाने हम सब की अपनी-ही गज़लें...द्विज जी की गज़लें<br />तो जाने हम सब की अपनी-ही गज़लें होती हैं<br />हर शेर में अपनी कोई बात महसूस होने लगती है<br />जिंदगी की छोटी-बड़ी,, तीखी-मीठी<br />सभी कुछ तो मिल जाता है उन्हें पढ़ कर<br /> "अम्बर-सा उनका सूरज<br /> अपनी सिमटी थाली धूप"<br />बहुत ला-जवाब शेर कहा है जनाब ने<br />उन्हें मेरा सलाम कहिएगा..... <br /><br /> "उजले-उजले शेर सभी<br /> जैसे हो मतवाली धूप "<br /><br />और गीत का लुत्फ़ अलग से आ रहा है<br />आभार स्वीकार करेंdaanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-4205732458794288072010-02-03T16:38:22.090+05:302010-02-03T16:38:22.090+05:30द्विज जी की ग़ज़ल अच्छी लगी । उनके यहाँ हरी-भरी वा...द्विज जी की ग़ज़ल अच्छी लगी । उनके यहाँ हरी-भरी वादियों जैसी ख़ूबसूरती मन को भली लगती है ।devmanipandey.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-74528779615010558362010-02-03T16:36:57.974+05:302010-02-03T16:36:57.974+05:30wah sahab bahut khoob..wah sahab bahut khoob..kavi kulwanthttps://www.blogger.com/profile/07096995143341561602noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-57431864276431949562010-02-03T15:48:27.754+05:302010-02-03T15:48:27.754+05:30द्विज भाई कि ग़ज़ल पढवाने के लिए आभार सतपाल जी...
द...द्विज भाई कि ग़ज़ल पढवाने के लिए आभार सतपाल जी...<br /><br />द्विज जी के लिए....<br /><br />अम्बर-सा उनका सूरज<br />अपनी सिमटी थाली धूप<br /><br />लेकिन मन हमेशा गुज़रे हुए वक़्त को छाती से ऐसे लगा के रखता है जैसे कोई मादा बांदर अपने मरे हुए बच्चे को छाती से लगा के घूमती हो जिसे ये विशवास ही नहीं होता कि ये बच्चा मर चुका है।<br /><br /><br />सच कहते हो...manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-64429531287715486512010-02-03T15:48:13.758+05:302010-02-03T15:48:13.758+05:30द्विज भाई कि ग़ज़ल पढवाने के लिए आभार सतपाल जी...
द...द्विज भाई कि ग़ज़ल पढवाने के लिए आभार सतपाल जी...<br /><br />द्विज जी के लिए....<br /><br />अम्बर-सा उनका सूरज<br />अपनी सिमटी थाली धूप<br /><br />लेकिन मन हमेशा गुज़रे हुए वक़्त को छाती से ऐसे लगा के रखता है जैसे कोई मादा बांदर अपने मरे हुए बच्चे को छाती से लगा के घूमती हो जिसे ये विशवास ही नहीं होता कि ये बच्चा मर चुका है।<br /><br /><br />सच कहते हो...manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-67498603658324144712010-02-03T11:31:19.155+05:302010-02-03T11:31:19.155+05:30द्विज भाई से कभी सीधे-सीधे संवाद तो नहीं हुआ लेकिन...द्विज भाई से कभी सीधे-सीधे संवाद तो नहीं हुआ लेकिन जितना पढ़ा अच्छा लगा। उस्तादाना अंदाज़ रहता है। गंभीर लिखते हैं। पूर्ण लिखते हैं। परिपक्व लिखते हैं।<br />अब उनसे संवाद शुरू हो इसलिये कुछ मज़ाक हो जाये:<br />बीबी लगती बर्फ की सिल्ली<br />औ लगती है साली धूपतिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-68251546109409145392010-02-03T09:32:23.366+05:302010-02-03T09:32:23.366+05:30Dwij ji ki chhah padi sheron mein sadgi hai. Danis...Dwij ji ki chhah padi sheron mein sadgi hai. Danishmando ki ghazal se talluq rakhanewali gintiyoa se befiqra apne apni unke liye jo izzat nibahi vah qabile sukun hai.<br /><br />Shivkumar Batalvi ki panjabi rachna jagjeetsingh ji aawaz mein damdar asar chhodti hai.<br />'Aaj ki ghazal' blog ke zariye aap bahut accha kam kar rahein. Badhaiya.kumar zahidhttps://www.blogger.com/profile/16434201158711856377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-49007571486169136412010-02-02T23:03:30.494+05:302010-02-02T23:03:30.494+05:30द्विज जी की गज़ा और फिर बटालवी जी की रचना सुनना..आ...द्विज जी की गज़ा और फिर बटालवी जी की रचना सुनना..आनन्द आ गया.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-32892090652118152522010-02-02T17:24:04.669+05:302010-02-02T17:24:04.669+05:30Gujre waqt ki baateN aur ye Gazal. Shukriyaa!Gujre waqt ki baateN aur ye Gazal. Shukriyaa!Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.com