tag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post9049108675848561952..comments2024-02-09T13:59:35.591+05:30Comments on आज की ग़ज़ल : सोच के दीप जला कर देखोसतपाल ख़यालhttp://www.blogger.com/profile/18211208184259327099noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-86606139220030382452010-12-04T07:30:21.629+05:302010-12-04T07:30:21.629+05:30वाह.
द्विज जी की किसी भी गज़ल तो सुनने पढ़ने के बाद,...वाह.<br />द्विज जी की किसी भी गज़ल तो सुनने पढ़ने के बाद, मुंह से यही निकलता है..वाह.<br />अब किस शेर को कोट करें. "लोरी से बहला कर देखो..", "हाथ मिला कर देखो"..बहुत खूब.<br />मकता भी बहुत अच्छा है.Rajeev Bharolhttps://www.blogger.com/profile/03264770372242389777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-57385579834275228412010-12-03T23:41:46.775+05:302010-12-03T23:41:46.775+05:30जाओ, इक भूखे बच्चे को
लोरी से बहला कर देखो
कमाल ह...जाओ, इक भूखे बच्चे को<br />लोरी से बहला कर देखो<br /><br />कमाल है.........प्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-894353603403957342010-12-03T23:13:43.644+05:302010-12-03T23:13:43.644+05:30यह बात सही है कि ग़ज़ल में कहन न हो तो वह मात्र तु...यह बात सही है कि ग़ज़ल में कहन न हो तो वह मात्र तुकबंदी लगती है। <br />'चोट नई..' में छुपा कटाक्ष, और 'अपनी छाप..' में छाप तिलक सब धर दीन्हीं का दर्शन कराती हुई ' जाओ, इक भूखे बच्चे..'से होती हुई ग़ज़ल जब 'सन्नाटे की ...' की बस्ती तक पहुँचती है तो लगता है कि काश सफ़़र कुछ और लंबा होता लेकिन हर सफ़र कहीं तो रुकता है, गूंगों बहरों की बस्ती में ही सही।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-46050498908710378522010-12-01T22:46:16.757+05:302010-12-01T22:46:16.757+05:30प्रिय बंधुवर सतपाल जी
नमस्कार !
आप दुरुस्त फ़...<b><i> प्रिय बंधुवर सतपाल जी</i></b> <br /> नमस्कार !<br /><br />आप दुरुस्त फ़रमाते हैं कि - "भावनाएँ तो हर शायर की एक जैसी होती हैं लेकिन उनको व्यक्त करने की शैली जुदा होती है।"<br /><br />…और द्विज जी का अंदाज़ ! क्या कहने !! <br /><b> </b> <br />पूरी ग़ज़ल ने लुभा लिया है , एक शे'र कोट किए बिना मन नहीं मान रहा -<br /> <b>लड़ जाते हो दुनिया से तुम<br />ख़ुद से आँख मिला कर देखो </b> <b> </b> <br /><br />वैसे बहुत समय से <b>द्विज जी </b>कहीं मिल नहीं पा रहे … मेरा सलाम उन तक पहुंचे …<br /><br />- राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-49324137964282787702010-11-30T22:55:53.425+05:302010-11-30T22:55:53.425+05:30This comment has been removed by the author.नीलम शर्मा 'अंशु'https://www.blogger.com/profile/14900740334956197090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-9856301642681647232010-11-30T22:55:51.462+05:302010-11-30T22:55:51.462+05:30नीरज जी की टिप्पणी के बाद कहने को कुछ नहीं बचता। म...नीरज जी की टिप्पणी के बाद कहने को कुछ नहीं बचता। मुबारक ।नीलम शर्मा 'अंशु'https://www.blogger.com/profile/14900740334956197090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-68162475958864813502010-11-30T22:27:14.083+05:302010-11-30T22:27:14.083+05:30लाजवाब ! लाजवाब !!लाजवाब ! लाजवाब !!अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-88387558668119804182010-11-30T14:33:15.447+05:302010-11-30T14:33:15.447+05:30Sundar hi nahi balki Ati sundar hai, apki rachnaSundar hi nahi balki Ati sundar hai, apki rachnaTaarkeshwar Girihttps://www.blogger.com/profile/06692811488153405861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-46425588449581369712010-11-30T11:14:24.873+05:302010-11-30T11:14:24.873+05:30wah wha bahut khoob bahut khoob...wah wha bahut khoob bahut khoob...kavi kulwanthttps://www.blogger.com/profile/07096995143341561602noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-52989901328583906932010-11-29T18:52:35.138+05:302010-11-29T18:52:35.138+05:30द्विजjजी की गज़ल पर मै कुछ कहूँ तो सूरज को दीप दिखल...द्विजjजी की गज़ल पर मै कुछ कहूँ तो सूरज को दीप दिखलाने वाली बात होगी। आज भी जब उनकी पुस्तक जन गन मन हाथ मे लेती हूँ तो उनकी गज़लें पढ कर हैरान होती हूँ इतने गहन भाव कहीं कोई दोहराव नही। उस्तादों की गज़लों से सिर्फ सीखा जाता है इसलिये कमेन्ट देने आयी हूँ कि उनकी लाजवाब शायरी से मैने बहुत कुछ सीखा।<br />जाओ, इक भूखे बच्चे को<br />लोरी से बहला कर देखो<br /><br />सपनों को परवाज़ मिलेगी<br />आस के पंख लगा कर देखो"<br />ये दोनो शेर सिर्फ कोट लरने के लिये ही हैं वर्ना पूरी गजल बहुत अच्छी लगी। द्विज जी को बधाई और आपका धन्यवाद इस गज़ल को पढवाने के लिये।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-32813769714809073552010-11-29T18:50:08.087+05:302010-11-29T18:50:08.087+05:30बढ़िया शेरों से सजी ग़ज़लबढ़िया शेरों से सजी ग़ज़लरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-79415576826003321182010-11-29T18:40:29.020+05:302010-11-29T18:40:29.020+05:30नीरज जी की बात के बाद
कुछ भी कह पाना मुमकिन नहीं ल...नीरज जी की बात के बाद<br />कुछ भी कह पाना मुमकिन नहीं लग रहा<br />उनकी एक-एक बात का अनुमोदन करता हूँ<br />आदरणीय द्विज जी , निसंदेह,<br />शाईरी के आकाश में <br />उज्जवल चाँद की तरह चमक रहे हैं... <br />और अपने आस-पास के<br />सितारों को रौशन bhi कर रहे हैं<br />उनके ये अश`आर बहुत प्रभावित कर गए....<br /><br />"अपनी छाप गँवा बैठोगे<br /> उनसे हाथ मिला कर देखो"<br />"सपनों को परवाज़ मिलेगी<br /> आस के पंख लगा कर देखो"<br />"जाओ, इक भूखे बच्चे को<br /> लोरी से बहला कर देखो"<br /><br />उन्हें बहुत बहुत मुबारकबाद .daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-42234034947559320792010-11-29T16:22:59.126+05:302010-11-29T16:22:59.126+05:30Neeraj ji,
welcome back to india and back to blog...Neeraj ji,<br /><br />welcome back to india and back to blog..thanxसतपाल ख़यालhttps://www.blogger.com/profile/18211208184259327099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-25255823278273206182010-11-29T15:41:02.629+05:302010-11-29T15:41:02.629+05:30भाई नीरज गोस्वामी जी ने जो कहा, मैं संभवत: वही कह...भाई नीरज गोस्वामी जी ने जो कहा, मैं संभवत: वही कहना चाह रहा था। अग्रज द्विज जी को बधाई।Navneet Sharmahttps://www.blogger.com/profile/17503086917617110754noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-55681069977200225222010-11-29T15:36:50.726+05:302010-11-29T15:36:50.726+05:30सतपाल भाई पिछले कुछ दिनों से चीन गया हुआ था इस वजह...सतपाल भाई पिछले कुछ दिनों से चीन गया हुआ था इस वजह से आपकी पिछली पोस्ट नहीं पढ़ पाया...उम्मीद है नाराज़ नहीं होंगे.<br />आज तो आपने मेरे सबसे पसंदीदा ग़ज़ल गो द्विज जी की गज़ल पढवा कर कमाल ही कर दिया है. द्विज जी की येही खासियत है वो हमेशा ही कुछ ऐसे शेर आसानी से कह जाते हैं जिन्हें पढ़ने के बाद दांतों तले ऊँगली दबानी पड़ती है...उनका ये हुनर उन्हें बाकि शायरों से बिलकुल अलग रंग देता है...<br /><br />अपनी छाप गँवा बैठोगे<br />उनसे हाथ मिला कर देखो<br />इस ज़ज्बे को बहुत से शायरों ने अपनी शायरी में अलग अलग अंदाज़ से बांधा है लेकिन छोटी बहर में इसे जिस ख़ूबसूरती से द्विज जी ने बांधा है उस पर वाह वाह करते जबान नहीं थकती...<br /><br />जाओ, इक भूखे बच्चे को<br />लोरी से बहला कर देखो<br />सुभान अल्लाह...ये द्विज जी की सोच का कमाल है, भूख बच्चा और लोरी पर बहुत से शेर पढ़े हैं लेकिन ऐसा एक नहीं पढ़ा...वाह वाह...<br /><br />यह बस्ती कितनी रौशन है<br />सोच के दीप जला कर देखो<br />पानी से भरा गिलास आधा खाली है या आधा भरा ये हमारे सोचने पर निर्भर करता है और इसे शायरी में इस तरह ढालना...उफ्फ्फ्फ़...क्या कहूँ...<br /><br />द्विज जी की शायरी पढ़ने वालों को उनका मुरीद बना लेती है...वो जहाँ रहे यूँ ही शायरी करते रहें और मुस्कुराते रहें येही दुआ करता हूँ...आमीन<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com