tag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post9193532847935715701..comments2024-02-09T13:59:35.591+05:30Comments on आज की ग़ज़ल : तरही की पहली क़िस्तसतपाल ख़यालhttp://www.blogger.com/profile/18211208184259327099noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-16215992816611726442009-11-18T23:17:03.741+05:302009-11-18T23:17:03.741+05:30सुलगती शाम,तन्हाई,ग़मे-दिल,ज़हर का प्याला ,
हम अपन...सुलगती शाम,तन्हाई,ग़मे-दिल,ज़हर का प्याला ,<br />हम अपने वास्ते यूं जश्न का सामान लेते हैं<br /><br />बहुत खूब. 'मुफलिस, साहब का जवाब नहीं. 'मुफलिस' साहब फन से मुफलिस नहीं, ज़रदार भी हैं, ज़ोरदार भी.Prem Chand Sahajwalahttps://www.blogger.com/profile/16785012663655370640noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-30366744702843493622009-11-13T15:30:04.564+05:302009-11-13T15:30:04.564+05:30बर्की साहब के ये शेर:
मसल मशहूर है यह दिल को दिल स...बर्की साहब के ये शेर:<br />मसल मशहूर है यह दिल को दिल से राह होती है<br />तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं<br /><br />नहीं आती ख़ेरद जब काम अपने ऐसी हालत में<br />जुनूने-इंतेहा-ए-शौक़ से फरमान लेते हैं<br /><br />और हर दिल अजीज़ शायर, जनाब मुफलिस साहब के ये शेर:<br /><br />सुलगती शाम,तन्हाई,ग़मे-दिल,ज़हर का प्याला ,<br />हम अपने वास्ते यूं जश्न का सामान लेते हैं<br />*<br />उन्हें इक-दुसरे का हर घड़ी अहसास रहता है<br />जो सच्चे दोस्त हैं वो बिन कहे सब जान लेते हैं<br />*<br />कभी तो रूठ कर मर्ज़ी चला लेते हैं हम अपनी<br />कभी घबरा के हम ज़िद ज़िंदगी की मान लेते हैं<br /><br />पढ़ कर यकीन हो रहा है की ये तरही मुशायरा एक यादगार मुशायरा साबित होगा...ऐसी अजीम शख्शियतों को एक साथ एक मंच पर लाने का आप का हुनर काबिले दाद है सतपाल साहब...वाह...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-58086288804618479132009-11-13T15:27:34.296+05:302009-11-13T15:27:34.296+05:30बर्की साहब के ये शेर:
मसल मशहूर है यह दिल को दिल स...बर्की साहब के ये शेर:<br />मसल मशहूर है यह दिल को दिल से राह होती है<br />तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं<br /><br />नहीं आती ख़ेरद जब काम अपने ऐसी हालत में<br />जुनूने-इंतेहा-ए-शौक़ से फरमान लेते हैं<br /><br />और हर दिल अजीज़ शायर, जनाब मुफलिस साहब के ये शेर:<br /><br />सुलगती शाम,तन्हाई,ग़मे-दिल,ज़हर का प्याला ,<br />हम अपने वास्ते यूं जश्न का सामान लेते हैं<br />*<br />उन्हें इक-दुसरे का हर घड़ी अहसास रहता है<br />जो सच्चे दोस्त हैं वो बिन कहे सब जान लेते हैं<br />*<br />कभी तो रूठ कर मर्ज़ी चला लेते हैं हम अपनी<br />कभी घबरा के हम ज़िद ज़िंदगी की मान लेते हैं<br /><br />पढ़ कर यकीन हो रहा है की ये तरही मुशायरा एक यादगार मुशायरा साबित होगा...ऐसी अजीम शख्शियतों को एक साथ एक मंच पर लाने का आप का हुनर काबिले दाद है सतपाल साहब...वाह...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-12479348348380890822009-11-12T14:38:16.641+05:302009-11-12T14:38:16.641+05:30फिराक साहिब और मुफलिस जी की शायरी पर कुछ कहना मेरे...फिराक साहिब और मुफलिस जी की शायरी पर कुछ कहना मेरे बूते की बात नहीं है बस बार बार पढ रही हूँ। मेरे लिये तो दोनो शायरों का हल शेर हैरत अंगेज़ है। किस किस की तारीफ करूँ । फिराक साहिब और मुफ्लिस जी को बधाई दे सकती हूँ । इन उस्ताद शायरों को सलामनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-48021514057714797132009-11-11T22:57:04.493+05:302009-11-11T22:57:04.493+05:30इसी के वास्ते तो इनका लोहा मान लेते है.
ये हैं सत...इसी के वास्ते तो इनका लोहा मान लेते है. <br />ये हैं सतपाल हर काबिल को बस पहचान लेते है.<br />बधाई. अच्छी ग़ज़लों के चयन के लिए...girish pankajhttps://www.blogger.com/profile/16180473746296374936noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-57533108761835066652009-11-10T23:10:41.978+05:302009-11-10T23:10:41.978+05:30वाह, क्या खूब महफिल सजी है यहां, वाकई कलाम पढकर बह...वाह, क्या खूब महफिल सजी है यहां, वाकई कलाम पढकर बहुत कुछ सीखने को मिलता है.<br />मिसरा-ए-तरह की दोनों गज़लें बहुत खूबसूरत हैं<br />उस्ताद डा.अहमद अली बर्क़ी आज़मी साहब से गुजारिश है कि एक नज़र अपनी गज़ल पर ज़रूर डालें, लगता है ये शेर पोस्ट करने में कोई मिस्टेक हुई है---<br />हदीसे-दिलबरी अफसान-ए-हस्ती की है मज़हर<br />कि हक़ क़ी ज़िंदगी से जिसका हम उनवान लेते हैं<br />जनाब मुफलिस साहब के ये शेर बहुत पसंद आये---<br />1-<br />मुख़ालिफ़ वक़्त भी उन पर बहुत आसां गुज़रता है<br />ख़ुदा के हुक्म को जो ख़ुशदिली से मान लेते हैं<br />2-<br />कभी तो रूठ कर मर्ज़ी चला लेते हैं हम अपनी<br />कभी घबरा के हम ज़िद ज़िंदगी की मान लेते हैं<br />मिसरा-ए-तरह पर गज़ल कब तक भेजी जा सकती है, इत्तला देने की मेहरबानी फरमायें<br />शाहिद मिर्ज़ा शाहिदशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-67614367058163508432009-11-10T22:18:14.402+05:302009-11-10T22:18:14.402+05:30t^arHee mushaae're meiN do dilkash GhalzeiN pa...t^arHee mushaae're meiN do dilkash GhalzeiN paRhne ko milee. or iskee shurua'aat hee kaamyaab nazar aarahee hai to ant bhee kaamyaab hogaa<br /><br />"morning shows the day"<br /><br />Satpal jee ko badhaai,y ho<br /><br />Khurshidul Hasan NaiyerKHURSHIDUL HASAN NAIYERhttps://www.blogger.com/profile/05596887385761334421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-10332426468090393872009-11-10T16:29:44.697+05:302009-11-10T16:29:44.697+05:30अच्छा शायर जब कहता है तो हर शेर छुए बिना नहीं मान...अच्छा शायर जब कहता है तो हर शेर छुए बिना नहीं मानता, और कोई कोई शेर तो सीधे ज़ेह्न की गहराईओं में खलबली मचा देता है। दोनों ग़ज़लें कुछ ऐसा ही कर रही हैं। <br />तिलक राज कपूरतिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-22361784898152591102009-11-10T16:21:34.979+05:302009-11-10T16:21:34.979+05:30नहीं आती ख़ेरद जब काम अपने ऐसी हालत में
जुनूने-इंत...नहीं आती ख़ेरद जब काम अपने ऐसी हालत में<br />जुनूने-इंतेहा-ए-शौक़ से फरमान लेते हैं<br /><br />डॉ साहब को इस उम्दा कलाम के लिए <br />सलाम कहता हूँ ....<br />डॉ बर्क़ी ग़ज़ल के मिज़ाज को समझते हैं <br />एक एक लफ्ज़ को बड़े ही नफ़ीस तरीक़े से <br />पिरो कर नायाब अश`आर कहने के हुनर से <br />वाक़िफ़ हैं ....<br />उनकी शायरी न सिर्फ हिन्दोस्तान <br />में बल्कि तमाम दुसरे मुल्कों में भी <br />पढी जाती है , और खूब सराही जाती है <br />डॉ साहब की तख्लीक़ात से मुझ जैसे <br />कितने ही तालीब-ए-इल्म <br />इस्तेफ़ादा हासिल कर रहे हैं . . . <br />मुबारकबादdaanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-26072212431830409732009-11-10T16:09:48.334+05:302009-11-10T16:09:48.334+05:30बदल ले लाख अब 'मुफ़लिस' तू रंगत अपने चेहरे...बदल ले लाख अब 'मुफ़लिस' तू रंगत अपने चेहरे की<br />तेरे तर्ज़े-बयाँ से सब तुझे पहचान लेते हैं<br />dilkash sherनिर्झर'नीरhttps://www.blogger.com/profile/16846440327325263080noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-88084641663477252412009-11-10T16:05:02.724+05:302009-11-10T16:05:02.724+05:30ustadana shayari..
बहुत नाज़ुक है उसका शीशा-ए-दिल ...ustadana shayari..<br />बहुत नाज़ुक है उसका शीशा-ए-दिल टूट जाएगा<br />वो जो कहता है अकसर इस लिए हम मान लेते हैं.. <br />kya kamaal ki baat ki hai barque sahib ne ... matale me jo hunarmadi dikhlaayee hai wo to alag se jaan liye jaa rahaa hai... har she'r mukammal ..<br />jab muflis ji ki baat karun to sochataa hun kya kahun... kya kuchh paunga inke tarz-e-bayan ke liye ... inki kathan shaili aisi sadagi liye hoti hai ke kya kahane<br />कभी तो रूठ कर मर्ज़ी चला लेते हैं हम अपनी<br />कभी घबरा के हम ज़िद ज़िंदगी की मान लेते हैं<br />aur is she'r kya kahane , kya khub tarika inhone dhunda hai... dono hi ustaad shayeeron ko dil se badhaayee ... aur salaam... huzoorrrrrrrrrrrrrrrrr<br /><br /><br />arsh"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-17161282787357599612009-11-10T15:55:57.514+05:302009-11-10T15:55:57.514+05:30सुलगती शाम,तन्हाई,ग़मे-दिल,ज़हर का प्याला ,
हम अपन...सुलगती शाम,तन्हाई,ग़मे-दिल,ज़हर का प्याला ,<br />हम अपने वास्ते यूं जश्न का सामान लेते हैं...<br /><br />KAMAAL KA SHER HAI ... AUR BARKI SAAHAB KE BHI SHER ... BAS KAMAAL HAI SIR .... SHUKRIYAदिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-63751348735925466652009-11-10T10:44:59.845+05:302009-11-10T10:44:59.845+05:30दो-दो उस्ताद शायरों की तरही एक साथ पढ़ना....आहहा!
...दो-दो उस्ताद शायरों की तरही एक साथ पढ़ना....आहहा!<br /><br />बर्की साब का कहर ढ़ाता मतला, बेमिसाल गिरह और खास तौर पर ये शेर "फ़िदा होकर हम उसकी शमे-रुख़ पर मिसले-परवाना/फिर उस से मिल के अपनी मौत का सामान लेते हैं" बहुत भाया।<br /><br />और मुफ़लिस साब का कमाल का ये मिस्रा "कभी घबरा के हम ज़िद ज़िंदगी की मान लेते हैं" तो पहले ही सुन लिया था एसएमएस के जरिये...पूरी ग़ज़ल का जादू तो सर चढ़ के बोल रहा है।<br />"सुलगती शाम,तन्हाई,ग़मे-दिल,ज़हर का प्याला ,<br />हम अपने वास्ते यूं जश्न का सामान लेते हैं"...आह, हुजूरsssssss!<br />और मक्ता तो हाय रेsss!!!!गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-52138019589341078612009-11-09T23:32:33.063+05:302009-11-09T23:32:33.063+05:30हुज़ूर !
उर्दू अंजुमन पर
आपकी गज़लें सुन ली हैं ...हुज़ूर ! <br />उर्दू अंजुमन पर <br />आपकी गज़लें सुन ली हैं <br />आपकी मधुर आवाज़ का दिल फरेब जादू <br />अभी तक zehn par तारी है .....<br />मुबारकबाद कुबूल फरमाएंdaanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3037144839326735283.post-73144175810618272932009-11-09T22:18:32.321+05:302009-11-09T22:18:32.321+05:30यह बहुत खुशी की बात है कि फिराक़ साहब के इस चर्चित...यह बहुत खुशी की बात है कि फिराक़ साहब के इस चर्चित मिसरे पर दो और गज़लें पढ़ने को मिलीं ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.com