Thursday, September 11, 2008

छोटी बहर की दो ग़ज़लें









ग़ज़ल १

उघड़ी चितवन
खोल गई मन

उजले हैं तन
पर मैले मन

उलझेंगे मन
बिखरेंगे जन

अंदर सीलन
बाहर फिसलन

हो परिवर्तन
बदलें आसन

बेशक बन—ठन
जाने जन—जन

भरता मेला
जेबें ठन—ठन

जर्जर चोली
उधड़ी सावन

टूटा छप्पर
सर पर सावन

मन ख़ाली हैं
लब 'जन—गण—मन'

तन है दल—दल
मन है दर्पन

मृत्यु पोखर
झरना जीवन

निर्वासित है
क्यूँ 'जन—गण—मन'

खलनायक का
क्यूँ अभिनंदन

द्विजेंन्द्र द्विज
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ग़ज़ल २

क्या सितम है
दर्द कम है

राहत-ए-जां
हर सितम है

क़लब सोजां
चश्म नम है

ग़म बहुत हो
फ़िर भी कम है.

दिल हमारा
जाम-ए-जम है

जिंदगी कम
दम-ब-दम है

दिल मे ढूँढो
वो सनम है.

क़लब-ए-अखगर
वक्फ़-ए-गम है.

हनीफ़ अखगर

(ये यक रुक्नी ग़ज़ल है -फ़ाइलातुन-२१२२)







10 comments:

नीरज गोस्वामी said...

सतपाल जी , उर्दू के इन दो दिग्गज शायरों की बेमिसाल छोटी बहर की ग़ज़लें पढ़वाने का बहुत बहुत शुक्रिया...इतने कम लफ्जों में कोई बात कहना कितना मुश्किल होता है ये मैं जानता हूँ लेकिन इस मुश्किल को कितना आसन बना दिया गया है यहाँ...ये फर्क होता है एक उस्ताद और दूसरे शायर में...अब किस शेर की बात करूँ और किसे छोड़ दूँ ये दुविधा है क्यूँ की हर शेर बेहद खूबसूरत है...दिल बार बार वाह वा कर रहा है...
नीरज

pallavi trivedi said...

बहुत बहुत खूब....बेहतरीन ग़ज़लें हैं दोनों ही!इस बहर में कम ही पढने को मिलती हैं!

गौतम राजऋषि said...

क्या बात है....इतनी छोटी बहर में....उफ़!!! और एक-एक शेर सवा शेर

Udan Tashtari said...

वाह वाह!!
बहुत खूब!!

"अर्श" said...

satpal ji namashkar, muje behar counting ke bare me janana hai kripya sujhav de .........
regards

Prakash Badal said...

aap ka blog bahut achha hai main bhi gazlen likhta hoon aur maine bhi ek chhota sa apna blog banaya hai. bhai dwijender dwij ke gazlen dekh kar achha laga. is ke ilava bahut si rachnai achhi hai un par tippani vistar se dunga. thanks.


shubhakankshi

prakashbadal.blogspot.com

prakashbadal1@gmail.com

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

यक रुक्नी ग़ज़ल को पढ़ने और समझने का आनंद ही अलग होता है| भाई द्विजेंद्र 'द्विज' जी और भाई हनीफ़ अखगर जी आपके इन बेहतरीन शाहकारों को दिल से सलाम|

यक रुक्नी ग़ज़ल में प्रयोग के तौर पर ३ मात्रा की एक और कोशिश देखने के लिए कृपया यहाँ पधारें|

http://thalebaithe.blogspot.com/2010/12/blog-post_09.html

gumnaam pithoragarhi said...

waah khoob sir chhoti bahar me khoob kahaa hai,,,,,,,,,,,,,,,

MUKESH SHARMA said...

वाह वाह मित्र।

प्रदीप कांत said...

ग़ज़ब है