Tuesday, September 14, 2021

हिन्दी दिवस पर विशेष प्रस्तुति - राम प्रसाद बिस्मिल की एक ग़ज़ल -Hindi Diwas 2021



न चाहूं मान दुनिया में, न चाहूं स्वर्ग को जाना 
मुझे वर दे यही माता रहूं भारत पे दीवाना

करुं मैं कौम की सेवा पडे चाहे करोडों दुख 
अगर फ़िर जन्म लूं आकर तो भारत में ही हो आना

लगा रहे प्रेम हिन्दी में, पढूं हिन्दी लिखुं हिन्दी 
चलन हिन्दी चलूं, हिन्दी पहरना, ओढना खाना 


भवन में रोशनी मेरे रहे हिन्दी चिरागों की 
स्वदेशी ही रहे बाजा, बजाना, राग का गाना 

लगें इस देश के ही अर्थ मेरे धर्म, विद्या, धन 
करुं में प्राण तक अर्पण यही प्रण सत्य है ठाना 

नहीं कुछ ग़ैर-मुमकिन है जो चाहो दिल से "बिस्मिल" तुम
उठा लो देश हाथों पर न समझो अपना बेगाना 







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