अकेले घर से पूछती है बे-कसी
तिरा दिया जलाने वाले क्या हुए
जन्म: 8 दिसंबर 1925, अंबाला, ब्रिटिश भारत
मृत्यु: 2 मार्च 1972, लाहौर, पाकिस्तान
Samuel Taylor Coleridge -"Poetry- the best words in the best order."
सही शब्द , सही क्रम में ..ये बात ग़ज़ल पर बहुत फ़िट बैठती है | सही शब्द ,कम शब्द और सही order में |ये काम मीर तक़ी मीर के बाद नासिर काज़मी साहब ने बहुत अच्छे से किया | बात वही बस जुदा अंदाज़ में | वही सिम्पल सिम्बली , दिया ,दरिया ,सहरा ,समन्दर ,कश्ती के ज़रिए बेमिसाल बात कह देना जैसे -,
हमारे घर की दीवारों पे 'नासिर'
उदासी बाल खोले सो रही है
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नासिर ख़ुद मानते थे कि उन पर मीर का गहरा असर रहा लेकिन फिर भी पाठक तक मीर और नासिर जुदा -जुदा पहुँचते हैं ,यही क़ाबलियत है अच्छे शायर की |
शे’र होते हैं मीर के, नासिर
लफ़्ज़ बस दाएं बाएं करता है
एक अच्छा शे'र क्या होता है देखिए -
ओ पिछली रुत के साथी
अब के बरस मैं तन्हा हूँ
आती रुत मुझे रोएगी
जाती रुत का झोंका हूँ
शब्द अर्थ लेकर नहीं चलते बल्कि असर लेकर भी चलते हैं और एक गहरी बात कहता चलूँ शब्द असर ही नहीं कहने वाले के भाव की सच्चाई लेकर भी चलते हैं | मैंने कहीं पढ़ा है -
Language is intention not the words that comes out from your mouth nor the script in which it is written.
लेखक -सतपाल ख़याल @copyright
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