Saturday, September 11, 2021

मिर्ज़ा ग़ालिब और दाग़ देहल्वी: एक ज़मीन में दोनों की ग़ज़लें

 

ग़ालिब

ये न थी हमारी क़िस्मत के विसाल -ए-यार होता

अगर और जीते रहते यही इन्तज़ार होता

 

तेरे वादे पर जिये हम तो ये जान झूठ जाना

कि ख़ुशी से मर न जाते अगर ऐतबार होता

 

तेरी नाज़ुकी  से जाना कि बंधा था अ़हद  बोदा

कभी तू न तोड़ सकता अगर उस्तुवार  होता

 

कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीर-ए-नीमकश को

ये ख़लिश  कहाँ से होती जो जिगर के पार होता

 

ये कहां की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह

कोई चारासाज़  होता, कोई ग़मगुसार  होता

 

रग-ए-संग से टपकता वो लहू कि फिर न थमता

जिसे ग़म समझ रहे हो ये अगर शरार होता

 

ग़म अगर्चे जां-गुसिल  है, पर  कहां बचे कि दिल है

ग़म-ए-इश्क़ गर न होता, ग़म-ए-रोज़गार होता

 

कहूँ किससे मैं कि क्या है, शब-ए-ग़म बुरी बला है

मुझे क्या बुरा था मरना? अगर एक बार होता

 

हुए मर के हम जो रुस्वा, हुए क्यों न ग़र्क़ -ए-दरिया

न कभी जनाज़ा उठता, न कहीं मज़ार होता

 

उसे कौन देख सकता, कि यग़ाना  है वो यकता

जो दुई  की बू भी होती तो कहीं दो चार होता

 

ये मसाइल-ए-तसव्वुफ़, ये तेरा बयान "ग़ालिब

तुझे हम वली समझते, जो न बादाख़्वार होता

 

दाग़ दहेल्वी


अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता

कभी जान सदक़े होती कभी दिल निछार होता

 

कोई फ़ितना था क़यामत ना फिर आशकार होता

तेरे दिल पे काश ज़ालिम मुझे इख़्तियार होता


जो तुम्हारी तरह तुम से कोई झूठे वादे करता

तुम्हीं मुन्सिफ़ी से कह दो तुम्हे ऐतबार होता

 

ग़म-ए-इश्क़ में मज़ा था जो उसे समझ के खाते

ये वो ज़हर है कि आखिर मै-ए-ख़ुशगवार होता

 

ना मज़ा है दुश्मनी में ,ना ही लुत्फ़ दोस्ती में

कोई ग़ैर, ग़ैर होता ,कोई यार यार होता

 

ये मज़ा था दिल्लगी का, कि  बराबर आग लगती

न तुझे क़रार होता, न मुझे क़रार होता

 

तेरे वादे पर सितमगर, अभी और सब्र करते

अगर अपनी ज़िंदगी का हमें ऐतबार होता

 

ये वो दर्द-ए-दिल नहीं है, कि हो चारासाज़ कोई

अगर एक बार मिटता तो हज़ार बार होता

 

गए होश तेरे ज़ाहिद जो वो चश्म-ए-मस्त देखी

मुझे क्या उलट ना देता जो ना बादाख़्वार होता

 

 मुझे मानते सब ऐसा कि उदूं भी सजदा करते

दर-ए-यार काबा बनता जो मेरा मज़ार होता

 

तुम्हे नाज़ हो ना क्योंकर ,कि लिया है दाग़का दिल

ये रक़म ना हाथ लगती, न ये इफ़्तिख़ार होता

 

1 comment:

Amrita Tanmay said...

उम्दा प्रस्तुति ।