दाएरे अँधेरों के रौशनी के पोरों ने
कोट के बटन खोले टाई की गिरह खोली
बशीर बद्र
मोहज़्ज़ब आदमी पतलून के बटन तो लगा
कि इर्तिक़ा है इबारत बटन लगाने से
जौन एलिया
मेरी इक शर्ट में कल उस ने बटन टाँका था
शहर के शोर में चूड़ी की खनक आज भी है
तनवीर ग़ाज़ी
बटन बस शर्ट में इक टाँक देते
तो सब ग़ुस्सा उतर जाता हमारा
फ़हमी बदायूनी
कभी क़मीज़ के आधे बटन लगाते थे
और अब बदन से लबादा नहीं उतरता है
शकील जमाली
जेब ग़ाएब है तो नेफ़ा है बटन के बदले
तुम ने पतलून का पाजामा बना रखा है
ग़ौस ख़ाह मख़ाह हैदराबादी
है ज़िंदगी क़मीज़ का टूटा हुआ बटन
बिँधती हैं उँगलियाँ भी जिसे टाँकते हुए
द्विजेन्द्र द्विज
एक शे'र मेरा भी -
हो गया मसरूफ़ इतना घर कि अब ये हल है
तंज़ करते हैं क़मीज़ों के बटन टूटे हुए
सतपाल ख़याल
तंज़ करते हैं क़मीज़ों के बटन टूटे हुए
सतपाल ख़याल
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