एक शे'र मेरा भी -
तंज़ करते हैं क़मीज़ों के बटन टूटे हुए
सतपाल ख़याल
एक शे'र मेरा भी -
4 जून 1952 बदायूँ , उत्तर प्रदेश
20 अक्तूबर 2024 बदायूँ ,उत्तर प्रदेश
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शायरी एक्सप्रेशन है , कैफ़ियत है , नज़ाकत है और attitude भी है -
शायर एक तरह से दीवाने ही होते हैं जैसे जौन एलिया कहते हैं -
मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं
लेखक -सतपाल ख़याल @copyright
तहज़ीब हाफ़ी की शोहरत उसकी शायरी से बड़ी है और बहुत कम शायरों को ये नसीब होती है | मुशायरों में बहुत क्रेज़ है इनका और मुशायरे की शायरी थोड़ी अलग होती है जो वाह वाही की ज़्यादा परवाह करती है और तहजीब हाफ़ी ने युवा श्रोताओं की नब्ज़ पकड़ी है | इंटरनेट की दुनिया का सबसे पापुलर शायर है हांफ़ी| पाकिस्तानी पंजाब के तौंसा शरीफ़ में 1989 में इनका जन्म हुआ | यहाँ की मिट्टी शायर और शायरी के शौकीन ज़्यादा पैदा करती है और लोग ज़मीन से जुड़े हुए सादगी पसंद हैं |
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एक अच्छा शे'र क्या होता है देखिए -
शब्द अर्थ लेकर नहीं चलते बल्कि असर लेकर भी चलते हैं और एक गहरी बात कहता चलूँ शब्द असर ही नहीं कहने वाले के भाव की सच्चाई लेकर भी चलते हैं | मैंने कहीं पढ़ा है -
Language is intention not the words that comes out from your mouth nor the script in which it is written.
इस दौर में बहुत शायरी हो रही है और शायर भी बेशुमार हैं ,ऐसा लगता है हर तीन में एक आदमी शायर हो गया हो लेकिन तकनीक के इस दौर शायरी से वो गहराई ग़ायब हो गई और ये बात भी सही है कि अच्छे शायर के लिए कम्पीटीशन न के बराबर है | कहीं-कहीं कोई गुरमानी साहब की तरह उम्दा शायर मिल जाता है | बाक़ी बहुत से शायर हैं जिन की शायरी उन की ज़ुल्फ़ों से कहीं कमतर हसीन है | नाम बड़े और दर्शन छोटे वाली बात है | खैर इस शायर का अपना एक अलग अंदाज़ है -