Friday, September 10, 2021
निदा फ़ाज़ली और कबीर-एक ज़मीन दो शायर -Nida Fazli-Kabir
निदा फ़ाज़ली और कबीर एक ही ज़मीन में दोनों की ग़ज़लें-
फरहत शहज़ाद साहब का ताज़ा शे'र
काट कर पैर ,कर दिया आज़ाद जब उसने मुझे
Thursday, September 9, 2021
राहत इंदौरी साहब के पांच खूबसूरत शेर - Rahat Indori
शाख़ों से टूट
जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम
आँधी से कोई कह
दे कि औक़ात में रहे
रोज़ तारों को
नुमाइश में ख़लल पड़ता है
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है
हाथ ख़ाली हैं
तिरे शहर से जाते जाते
जान होती तो मिरी जान लुटाते जाते
बीमार को मरज़
की दवा देनी चाहिए
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए
आते जाते हैं
कई रंग मिरे चेहरे पर
लोग लेते हैं मज़ा ज़िक्र तुम्हारा कर के
राहत इंदौरी
1 Jan1950-11 August 2020
Wednesday, September 8, 2021
"मैं कहां और ये वबाल कहां " ...ग़ालिब ,तरही मुशायरा
दोस्तो ! हम इस ब्लॉग "आज की ग़ज़ल"(श्री द्विजेन्द्र द्विज जी द्वारा संरक्षित) पर तरही मुशायरे का आयोजन कर रहे हैं
Monday, September 6, 2021
अमित अहद की एक ग़ज़ल - Ek ghazal
तेरे मेरे ग़म का मंज़र
हर सू है मातम का मंज़र
मुद्दत से इक जैसा ही है
यादों की अलबम का मंज़र
दहशत में डूबा डूबा है
अब सारे आलम का मंज़र
दूर तलक अब तो दिखता है
पलकों पर शबनम का मंज़र
ज़ख्मों के बाज़ार सजे हैं
ग़ायब है मरहम का मंज़र
चीखों के इस शोर में मौला
पैदा कर सरगम का मंज़र
रफ़्ता-रफ़्ता अब आहों में
बदला है मौसम का मंज़र
लाशें ही लाशें बिखरी है
हर सू देख सितम का मंज़र
'अहद' नहीं देखा बरसों से
पायल की छम छम का मंज़र
फेसबुक लिंक अमित अहद -
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स्व : श्री प्राण शर्मा जी को याद करते हुए आज उनके लिखे आलेख को आपके लिए पब्लिश कर रहा हूँ | वो ब्लागिंग का एक दौर था जब स्व : श्री महावीर प...
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ग़ज़ल हर घड़ी यूँ ही सोचता क्या है? क्या कमी है ,तुझे हुआ क्या है? किसने जाना है, जो तू जानेगा क्या ये दुनिया है और ख़ुदा क्या है? दर-बदर खाक़ ...