Monday, September 25, 2023

हमारी हिन्दी

गोमुख से निकलने वाली गंगा की तरह है आर्यन संस्कृत , फिर वो प्रवाह, हवन कुंड की प्रचंड अग्नि की तरह समय के हवन –कुंड में प्रज्वलित होता है , अपना गौरव और प्रभाव कायम रखते हुए पवित्र जीवन दायिनी गंगा की तरह आगे बढ़ता है | धर्म , साहित्य और दर्शन को अपने विशाल दामन में समेटकर मोती बांटता है और ज्ञान को सहेजता भी है | एक बात मैं कहना चाहता हूँ कि लिपी, भाषा नहीं होती वो सिर्फ भाषा को अंकित करती है | चलिए आगे चलते हैं ..मध्यकाल में ये शास्त्रीय भाषा अपनी धारा को बदलती है और कई स्थानीय भाषाओं को अपने दामन में जगह देती है, ठीक वैसे ही जैसे बहती हुई गंगा में किनारों पर लगे फूल –पत्ते टूट कर इसमें गिरते रहते हैं और उन फूल –पत्तों का स्वाद गंगा में घुल-मिल जाता है लेकिन है वो गंगा ही | फिर मुस्लिम फ़कीर ,सूफ़ी और खुसरो सरीखे शायर भी इस गंगा में नहाते हैं | हिन्दी को इस भक्ति काल में जितना समृद्ध तुलसी दास जी ने किया उतना रसखान ने भी किया और आज नीरज ,पन्त और दुष्यंत आदि की कलम की स्याही बनकर हमारी और आपकी दवात में पड़ी हुई है –हिन्दी |



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भाषा , सही मायने में बादल की तरह होती है और शब्द छोटे –छोटे नालों ,नदियों जैसे होते हैं जो टेढ़े –मेढ़े रास्तों से होकर सागर में गिर जाते हैं और एक हो जाते हैं यही एकता भाषा है और फिर बादल बनकर ये एकता ,भाषा के रूप में बरसती है | शब्दों की जड़ें होती है ,कोई पहाड़ी ,अवधी, उर्दू ,फ़ारसी आदि लेकिन भाषा की नहीं, वो गंगा की तरह होती है जिसमें फूल पत्ते गिरते रहते हैं और उसे सुगन्धित करते रहते हैं | भाषा को तभी माँ कहते हैं क्योंकि वो भेद –भाव नहीं करती , वो सियासत की तंग सोच की तरह नहीं होती , वो उस दिए की तरह होती है जो धर्म से परे है ,वसीम साहब का शेर याद आ गया –
जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा,
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता
लेकिन इसमें मैं एक बात ज़ोर देकर कहना चाहता हूँ, जावेद अख्तर कहते हैं कि – “मैनें पानी पीया फिर रोटी खाई ,नहाया भी” फिर कहते हैं कि रोटी उर्दू का लफ्ज़ है ,पानी भी आदि तो फिर कहते हैं कि बताओ ये कौन सी भाषा है ??
मैं ये कहना चाहता हूँ कि बेशक वो उर्दू या अन्य किसी भाषा के शब्द हों लेकिन हिन्दी की गंगा में गिरे हैं और हिन्दी हो गये हैं |
मैं ये मानता हूं कि भाषा का एक स्थाई डी एन ए जरूर होता है ,उसका एक मूल स्वभाव भी होता है और एक स्थाई सोच भी लेकिन वो सोच संकीर्ण नहीं होती | हिन्दी का स्वभाव भारतीय है लेकिन इसके दामन में कई क्यारियों के फूल हैं और कितने घाटों से गंगा की तरह गुज़रने के बाद भी अपनी शीतलता कायम रखती है और गंगा ही रहती है उसका नाम नहीं बदलता , इस ज्ञान की गंगा ,हिन्दी को प्रणाम है मेरा |
.✍️.satpal khayaal...

Wednesday, July 5, 2023

प्रेमचंद - हिंदी में उपन्यास (8 पुस्तकों का सेट) | सबसे कम कीमत पर कॉम्बो ऑफर | सर्वश्रेष्ठ कॉम्बो ऑफर

 

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  1. प्रेमशर्म 
  2. गबन 
  3. निर्मला 
  4. रंगभूमि 
  5. कर्मभूमि 
  6. वरदान 
  7. गोदान 
  8. प्रतिज्ञा 

प्रेमशर्म 

"प्रेमशर्म" एक प्रमुख हिंदी उपन्यास है जिसे विष्णु प्रभाकर द्वारा लिखा गया है। इस कहानी में एक युवा वकील का चरित्र है जो अपनी जीवन की विभिन्न महत्वपूर्ण घटनाओं के माध्यम से प्रेम, समाज, धर्म और न्याय के मुद्दों पर विचार करता है।

 गबन 

"गबन" मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखा गया हिंदी उपन्यास है। यह कहानी एक युवक की है जिसे समाज में आदान-प्रदान की समस्या से जूझना पड़ता है। उपन्यास में उसकी लालच, अहंकार और गलती पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

 निर्मला 

"निर्मला" प्रेमचंद की एक मशहूर हिंदी कहानी है। इस कहानी में एक युवा लड़की के विवाह के माध्यम से महिला समाज में प्रदर्शित होने वाले समस्याओं को दर्शाया गया है। यह उपन्यास नारी समाज, विवाहित जीवन, सामाजिक न्याय और स्वतंत्रता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।

 रंगभूमि 

"रंगभूमि" प्रेमचंद का एक प्रसिद्ध हिंदी उपन्यास है। इस कहानी में एक राजनीतिक महासंघर्ष के माध्यम से नाट्य मंच और राजनीति के अंतर्गत होने वाले समस्याओं को दिखाया गया है। यह उपन्यास साहित्यिकता, सामाजिक न्याय, राष्ट्रीयता, और स्वतंत्रता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।

 कर्मभूमि 

"कर्मभूमि" रवींद्रनाथ टैगोर का एक प्रमुख हिंदी उपन्यास है। इस कहानी में स्वदेशी आंदोलन के समय के राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दों को दिखाया गया है। उपन्यास केंद्रीय पात्र बाँकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय के माध्यम से स्वतंत्रता, धर्म, और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर विचार करता है।

 वरदान 

"वरदान" गोपालकृष्ण गोखले द्वारा लिखा गया हिंदी उपन्यास है। इस कहानी में मुख्य पात्र एक वैद्यकीय छात्र की है, जो स्वास्थ्य, शिक्षा और न्याय के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है। उपन्यास में उसके द्वारा सामाजिक न्याय, रोग-मुक्ति, और उच्चतम शिक्षा के मुद्दे पर विचार किया जाता है।

 गोदान 

"गोदान" मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखा गया हिंदी उपन्यास है। यह कहानी एक किसान के जीवन, गरीबी, सामाजिक न्याय, धर्म और प्रेम के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है। इस उपन्यास में किसान अपने यातनाएं, सामरिकता और समाजिक स्थिति के अनुभवों से जूझता है।

 प्रतिज्ञा :

"प्रतिज्ञा" प्रेमचंद का एक प्रसिद्ध हिंदी उपन्यास है। यह कहानी एक युवा कला छात्र की है, जो जीवन की महत्वपूर्णता, प्रेम, समाज और स्वाधीनता के मुद्दों पर विचार करता है। उपन्यास में उसके द्वारा लिये गए संकल्प और प्रतिज्ञा का महत्व प्रमुखता से दिखाया गया है।


Saturday, June 24, 2023

हमारे दिल की मत पूछो बड़ी मुश्किल में रहता है - नई ग़ज़ल


 

New Ghazal- Hamare Dil ki Mat Pucho

 Dear Friends

This ghazal is just released I request all of you to watch this and Entire team needs your best wishes.
Watch it on youtube and share with your friends. It will touch your Heart 


Music Director & Singer - Atul Dive Shayar - Satpal Khayal Director - Sayali Gautam D.O.P. - Datta Kolge Editor - Datta Kolge Actor - Akash Deshmukh Music Arranger - Vinit Deshpande & Siddhant Shailendra Mixing & Mastering - Vipul Dive Recorded In AMD Recording Studio