ग़ज़ल
हिज्र का है उसे मलाल कहाँ
कोई अपना है
हमख़याल कहाँ
खून में पहले सा उबाल कहाँ
हर किसी में
है ये कमाल कहाँ
माँ के दिल सा मगर विशाल कहाँ
पूछता है वो हालचाल कहाँ
वक़्त जिसका जवाब दे न सके
ऐसा कोई 'अहद' सवाल कहाँ
amitahad33@gmail.com
ग़ज़ल
हिज्र का है उसे मलाल कहाँ
कोई अपना है
हमख़याल कहाँ
खून में पहले सा उबाल कहाँ
हर किसी में
है ये कमाल कहाँ
माँ के दिल सा मगर विशाल कहाँ
पूछता है वो हालचाल कहाँ
वक़्त जिसका जवाब दे न सके
ऐसा कोई 'अहद' सवाल कहाँ
amitahad33@gmail.com
मुज़फ़्फ़र वारसी
दायम पड़ा हुआ तेरे दर पर नहीं हूँ मैं
ख़ाक
ऐसी ज़िन्दगी पे कि पत्थर नहीं हूँ मैं
इन्सान
हूँ, प्याला-ओ-साग़र
नहीं हूँ मैं
लौह-ए-जहां पे हर्फ़-ए-मुक़र्रर नहीं हूँ मैं
आख़िर
गुनाहगार हूँ, काफ़िर नहीं हूँ मैं
लाल-ओ-ज़मुर्रुदो--ज़र-ओ-गौहर नहीं
हूँ मैं
रखते हो तुम क़दम मेरी आँखों से क्यों दरेग़
रुतबे
में मेहर-ओ-माह से कमतर नहीं हूँ मैं
करते हो मुझको मनअ़-ए-क़दम-बोस किस लिये
क्या
आसमान के भी बराबर नहीं हूँ मैं?
'ग़ालिब' वज़ीफ़ाख़्वार हो, दो शाह को दुआ
वो
दिन गये कि कहते थे "नौकर नहीं हूँ मैं"
ग़ालिब की ग़ज़ल -- कविता कोष से साभार
“मैं
कहां और ये वबाल कहां”
हिज्र मिलता है बस विसाल कहां
झूठ सच का रहा सवाल कहां
बस्तियां जल के ख़ाक हो जायें
हुक्मरां को कोई मलाल कहां
मज़हबी वो फ़साद करते हैं
रहबरों से मगर सवाल कहां
दौर "मासूम" ये हुआ कैसा
खो चुका आदमी जमाल कहां
*****
आरज़ू
लखनवी - १८७३-१९५१
ग़ज़ल
झूम के आई घटा, टूट के बरसा पानी
कोई मतवाली घटा थी कि जवानी की उमंग
जी
बहा ले गया बरसात का पहला पानी
टिकटिकी बांधे वो फिरते है ,में इस फ़िक्र में हूँ
कही
खाने लगे चक्कर न ये गहरा पानी
बात करने में वो उन आँखों से अमृत टपका
आरजू
देखते ही मुँह में भर आया पानी
ये पसीना वही आंसूं हैं, जो पी जाते थे तुम
"आरजू "लो वो खुला भेद , वो फूटा पानी
छंद - अगर हमें हिन्दी कविता लिखनी है तो छंद का ज्ञान होना बहुत ज़रूरी है | ग़ज़ल कहने के लिए छंद को समझने की ज़रूरत नहीं है | दोनों एक दुसरे से अलग हैं | ग़ज़ल कहने के लिए बहर को जानना जरूरी है | छंद या मात्रिक होते हैं या वर्ण आधारित ,जिसमें मात्रओं की गिनती आदि की जाती है लेकिन बहर में मात्राएँ नहीं गिनी जाती | बहर का अपना अलग तरीक़ा है ,जिसमें किसी एक मिसरे (पंक्ति ) को छोटी -बड़ी आवाज़ों को एक फिक्स्ड पैटर्न में लिखा जाता है जिसे हम हिन्दी में गुरू -लघु की तरह लिखकर सीख सकते हैं | एक शब्द को कैसे तोड़ना ,कैसे उसका वज्न लिखना आदि सीखा जाता है |
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