Tuesday, February 14, 2012

श्रदाँजलि


16 जून, 1936-13 फरवरी, 2012
वास्तविक नाम: डॉ. अखलाक मुहम्मद खान"शहरयार "
जन्म स्थान: आंवला, बरेली, उत्तर प्रदेश।

कुछ प्रमुख कृतियां: इस्म-ए-आजम [1965], ख्वाब का दर बंद है [1987], शाम होने वाली है [2005], मिलता रहूंगा ख्वाब में। 'उमराव जान', 'गमन' और 'अंजुमन' जैसी फिल्मों के गीतकार । साहित्य अकादमी पुरस्कार [1987], ज्ञानपीठ पुरस्कार [2008]। अलीगढ़ विश्वविद्यालय में उर्दू के प्रोफेसर और उर्दू विभाग के अध्यक्ष रहे। इस अज़ीम शायर को विनम्र श्रदाँजलि जो कल इस संसार को हमेशा के लिए अलविदा कह गए-

ज़िंदगी जैसी तवक़्को थी नहीं कुछ कम है
हर घड़ी होता है अहसास कहीं कुछ कम है

घर की तामीर तसव्वुर ही में हो सकती है
अपने नक़्शे के मुताबिक़ यह ज़मीं कुछ कम है

बिछड़े लोगों से मुलाक़ात कभी फिर होगी
दिल में उम्मीद तो काफी है यक़ीं कुछ कम है

अब जिधर देखिए लगता है कि इस दुनिया में
कहीं कुछ चीज़ ज़्यादा है कहीं कुछ कम है

आज भी है तेरी दूरी ही उदासी का सबब
यह अलग बात कि पहली सी नहीं कुछ कम है