Monday, November 8, 2010
तरही मुशायरे के दूसरे शायर
दानिश भारती जी को पहचाना क्या?..ये हैं अपने मुफ़लिस जी जिन्होंने अपना अदबी नाम बदल लिया है।
मुशायरे के दूसरे शायर हैं जनाब दानिश भारती। इनका फोटो अभी खाली रखा है , कल तक इनकी तस्वीर लगाऊँगा । इस शायर को आप सब भली-भाँति जानते हैं और इस राज़ पर से कल पर्दा उठेगा। अभी मुलाहिज़ा कीजिए दानिश भारती की मिसरा-ए - तरह " सोच के दीप जला कर देखो" पर ये ग़ज़ल-
दानिश भारती
सोये लफ़्ज़ जगा कर देखो
मन की बात बता कर देखो
इश्क़ में रस्म निभा कर देखो
हुस्न के नाज़ उठा कर देखो
दिल का चैन गँवा कर देखो
याद उसे भी आ कर देखो
मन में प्रीत बसा कर देखो
अपने ख़्वाब सजा कर देखो
महके, रिश्तों की ये बगिया
प्यार के फूल खिला कर देखो
मुश्किल कोई काम नहीं है
ख़ुद से शर्त लगा कर देखो
सच्चा सुख मिलता है इसमें
काम किसी के आ कर देखो
मुहँ में राम, बगल में छुरियाँ
ऐसी सोच मिटा कर देखो
रौशन हो मन का हर कोना
सोच के दीप जला कर देखो
एक और एक बनेंगे ग्यारह
मिल-जुल हाथ बढ़ा कर देखो
दर्पण सब सच-सच कह देगा
'दानिश' आँख मिला कर देखो .
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15 comments:
वाह. बहुत ही अछ्ही गज़ल. दानिश जी को बहुत बहुत बधाई.."खुद से शर्त लगा कर देखो.." क्या बात है.
बहुत खूब कहा है। मत्ले पर मत्ला; क्या बात है। शायर क परिचय तो उसकी शायरी है, फिर भी फोटो का इंतज़ार रहेगा।
nice lines sir...........
bahut khoob!
ये बात तो लाजवाब लगी हर शेर जानदार और हर बात अपने आप में एक सीख
ख़ूबसूरत अशआर।
वाह , खूबसूरत ग़ज़ल
दानिश जी को बधाई
एक और एक बनेंगे ग्यारह
मिल-जुल हाथ बढ़ा कर देखो....bahut khoob
मुहँ में राम, बगल में छुरियाँ
ऐसी सोच मिटा कर देखो
एक और एक बनेंगे ग्यारह
मिल-जुल हाथ बढ़ा कर देखो
बहुत उमदा गज़ल। दानिश जी को बधाई।
"सोच के दीप"...कितनी अच्छी सोच...बधाई...
एक खूबसूरत ग़ज़ल!
दानिश जी को बधाई !!
ख़ूबसूरत अशआर, बहुत शानदार गज़ल.
बहुत बहुत मुबारकबाद दानिश जी को .
महके, रिश्तों की ये बगिया
प्यार के फूल खिला कर देखो
मुश्किल कोई काम नहीं है
ख़ुद से शर्त लगा कर देखो
सच्चा सुख मिलता है इसमें
काम किसी के आ कर देखो
क्या बात है ,बहुत ख़ूब !
अश'आर तो बोल रहे थे कि किसी परिपक्व शायर के हैं। फोटो देखने के बाद फेसबुक पर भी तलाश लिया है।
मुश्किल कोई काम नहीं है
खूद से शर्त लगाकर देखो
बहुत खबसूरत शेर...यही जोश होना चाहिए...
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