Tuesday, July 1, 2008

प्राण शर्मा की दो ग़ज़लें.












परिचय:
13 जून 1937 को वज़ीराबाद (अब पकिस्तान में) जन्मे प्राण शर्मा 1955 से लेखन में सक्रिय हैं.
आप हिन्दी ग़ज़लों और गीतों में शब्दों के विलक्षण प्रयोग के लिए जाने जाते हैं.
यही नहीं आपके ग़ज़ल विषयक आलेख और पुस्तकें भी चर्चा में हैं.
ग़ज़ल कहता हूँ (ग़ज़ल संग्रह) तथा सुराही (मुक्तक संग्रह) इनकी प्रसिद्ध तथा चर्चित किताबें हैं. विश्व भर की सभी प्रमुख हिन्दी पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित.
संपर्क – 3 Crackston Close, Coventry, CV2 5EB, UK
sharmapran4@gmail.com


संपर्क3 Crackston Close, Coventry, CV2 5EB, UK
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ग़ज़ल १
माना कि आदमी को हँसाता है आदमी
इतना नहीं कि जितना रुलाता है आदमी
Maanaa ke aadmee ko haNsaataa hai aadmee
Itnaa nahin ke jitnaa rulaataa hai aadmee

माना ,गले से सब को लगाता है आदमी
दिल में किसी—किसी को बिठाता है आदमी
mana ,gale se sabko lagaata hai aadmee
dil mein kisee-kisee ko biThaataa hai aadmee

सुख में लिहाफ़ ओढ़ के सोता है चैन से
दुख में हमेशा शोर मचाता है आदमी
sukh meN lihaaf auRh ke sotaa hai chain se
dukh mein hameshaa shor machaataa hai aadmee

हर आदमी की ज़ात अजीब—ओ—गरीब है
कब आदमी को दोस्तो! भाता है आदमी
har aadmee kee zaat ajeeb-o-gareeb hai
kab aadmee ko dosto bhaataa hai aadmee

दुनिया से ख़ाली हाथ कभी लौटता नहीं
कुछ राज़ अपने साथ ले जाता है आदमी
dunia se KHaalee haath kabhee lauT^taa nahiN
kuchh raaz apne saath le jaataa hai aadmee


वज़न: ( 221 21 21 122 12 12)










ग़ज़ल २
माना सुख—दुख की है लड़ी प्यारे!
फिर भी प्यारी है ज़िन्दगी प्यारे!
Maanaa,sukh-dukh kee hai laree pyaare
Phir bhee pyaaree hai zindgee pyaare

नाचती है कभी नचाती है!
ज़िन्दगानी है इक नटी प्यारे!
naachtee hai kabhee nachaatee hai
zindgaanee hai ek naTee pyaare

ये भी मौसम सी आती जाती है!
चिर टिकाऊ नहीं ख़ुशी प्यारे!
ye bhee mausam— see aatee-jaatee hai
chir TikaaU nahin KHushee pyaare

कौन जीता है चैन से सुख से
क़ैदख़ाना है मुफ़लिसी प्यारे!
kaun jeeta hai chain se,sukh se
qaidKHaanaa hai muflisee pyaare

नेकियाँ शर्मसार हैं तेरी
दूर रख ख़ुद से हर बदी प्यारे
nekiyaN sharmsaar hain teree
door rakh KHud se har badee pyaare

कैसा—कैसा निखार आता है
फूल बनती है जब कली प्यारे
kaisa-kaisa nikhaar aataa hai
phool bantee hai jab kalee pyaare

एक दिन लोग ख़ुद ही बदलेंगे
पहले ख़ुद को बदल कभी प्यारे
ek din log KHud hee badleN ge
pahle KHud ko badal kabhee pyaare


212 212 1222

7 comments:

डॉ .अनुराग said...

दुनिया से ख़ाली हाथ कभी लौटता नहीं
कुछ राज़ अपने साथ ले जाता है आदमी

bahut khoob.....

Manish Kumar said...

shukriya ise baantne ke liye...

Udan Tashtari said...

प्राण जी गजलों का तो क्या कहने. एक बार महावीर जी न पढ़वाई थी और आज आपने. आनन्द आ गया. कनाडा में उनकी किताब हासिल करने का क्या जरिया हो सकता है, अगर ज्ञात हो ईमेल से सूचित कर दें, आभारी रहूँगा.

सादर

समीर लाल

Unknown said...

aadarniya praanji,
bahot pahle ek geet Mukeshji, ki aaj tak gungunaanaa achchha lagtaa hai-----'"BUS YEHI APRAADH MAI HAR BAR KARTAAHOON,AADMI HOON AADMI SE PYAR KARTAA HOON."
or aaj aapki is gazal ko padh kar "WAH;" apne aap hi muh se nikal gayaa. bahut sunder gazal hai..aap aise hi likhte rahiye hum padhkar aanand uthaate rahenge.

नीरज गोस्वामी said...

"सुख में लिहाफ़ ओढ़ के सोता है चैन से
दुख में हमेशा शोर मचाता है आदमी"
"नाचती है कभी नचाती है!
ज़िन्दगानी है इक नटी प्यारे!"
कमाल के शेर हैं दोनों ग़ज़लों के , एक से बढ़ कर एक...इंसानी फितरत को जिस खूबसूरती से प्राण शर्मा जी बयां किया है वो सिर्फ़ उन्ही के बूते की बात है...मेरे तो गुरु हैं वो और छोटी छोटी बातें बता कर ग़ज़ल में चार चाँद लगा देने के हुनर में माहिर हैं. रब से दुआ है वो हमेशा तंदरुस्त रहें और हम जैसे नौसीखियों को सीखने का मौका देते रहें.
नीरज

श्रद्धा जैन said...

Pran ji ko pahile bhi padha hai
aur inki ye gazal bhaut achhi lagi
aise hi fankaar se shayari/gazal adab ka naam zinda hai

Kavi Kulwant said...

bahuta Khoob Pran sahab..
lazwab...
aap se milne ki khwahish hai..