Friday, May 15, 2009
दुखद समाचार
जन्म: 25 दिसम्बर,1946
निधन: 13 मई,2009
पहाड़ी गांधी सम्मान से अलंकृत डा. प्रेम भारद्वाज का बुधवार शाम को देहावसान हो गया और वो इस फ़ानी दुनिया से विदा होकर पंचतत्व मे विलीन हो गये. प्रमात्मा उनकी आत्मा को शांति दे.
उनकी एक ग़ज़ल :
निकाले ख़ुल्द से आदम को जुग बीते जनम निकले
हवस की क़ैद से से लेकिन न वो निकले न हम निकले
अना की खन्दकों से पार हो मैदाने हस्ती में
ख़ुदी को कर बुलन्द इतना कि ख़ुद दस्ते-करम निकले
मुरव्वत, प्यार, नफ़रत, इन्क़िलाबी दौर, मज़हब हो
कि इस तन्ज़ीम की बुनियाद में अहले-कलम निकले
लड़ाई अज़्मतों की तब समुन्दर पार जा पहुँची
लखन रेखा मिटा कर जब सिया के दो क़दम निकले
सफ़र में लूट,डाके, चोरियाँ आसेब, आवाज़ें
हक़ीक़त में तो ये सब रहनुमाँ के ही करम निकले
ख़ुशामद रात भर करके वो सुबह आँखें दिखाता है
कि रस्सी जल गई सालिम न फिर भी उसके ख़म निकले
हुए माशूक़, साहूकार माहिर सूदख़ोरी में
अदा कर दो वुजूद अपना बक़ाया ही रक़म निकले
किसे आख़िर बनाएँ राज़दाँ वो सब के सब अपने
दबाकर जीभ दाँतों के तले खाकर क़सम निकले
अधूरी प्रेमगाथा के लिए है क़ौल ग़ालिब का
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
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15 comments:
इश्वर डा. प्रेम भारद्वाज की आत्मा को शान्ति दे.............और उनके parivaar को दुःख सहने का होंसला दे
DR.BHARDWAJ SAHIB KE AATMA KO UPAR WAALA SHANTI,AUR SWARG BARTE.... AUR UNKE PARIVAAR KO IS ASAHNIYA DARD SE NIKAALNE ME SAATH DE... NAMAN UNHE..
ARSH
डॉक्टर प्रेम भरद्वाज ग़ज़ल वालों की दुनिया में हमेशा जिंदा रहेंगे. मेरे भी श्रृद्धा-सुमन अर्पित करें.
दिवंगत आत्मा को श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हूं... प्रभु आपको, उनके परिवार व शुभचिंतकों को यह क्षति सहने का संबन प्रदान करे.... हरिॐ..
dukh hua, ishwar unki aatma ko shanti pradaan karen aur pariwar ko ye dukh sahne ki shakti, om shanti.
दिवंगत आत्मा को श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हूं...
निकाले ख़ुल्द से आदम को जुग बीते जनम निकले
हवस की क़ैद से से लेकिन न वो निकले न हम निकले...
हवस की कैद से hi वे तो aaz आजाद हो गए ....मेरे श्रृद्धा-सुमन अर्पित हैं.....!!
Sher mein zidah Raheinge Bhardwaaj
Hote hain fankaar Barqi jawedaan
Aatma ko shanti de unki khuda
Baaghe fikr o fan ke they jo baaghbaan
Ahmad Ali Barqi Azmi
DR.PREM BHARDWAJ KAA DIVANGAT HONA
SAB KE LIYE DUKHDAAEE HAI.ISHWAR
UNKEE AATMA KO SHANTI DE.
डॉ प्रेम भारद्वाज जी इस जहाने-फ़ानी से रुखसत
फरमा गए हैं, ये सुन कर बहुत दुःख हुआ ...
खुदावंद उन्हें जन्नत नसीब फरमाए
उन्हें हम सब की जानिब से श्रद्धांजली .
---मुफलिस---
बहुत अफ़सोस हुआ के ऐसी गजल कहने वाला अब हमारे बीच नहीं है..
इश्वेर उनकी आत्मा को शान्ति दे...
लड़ाई अज़्मतों की तब समुन्दर पार जा पहुँची
लखन रेखा मिटा कर जब सिया के दो क़दम निकले
अना की खन्दकों से पार हो मैदाने हस्ती में
ख़ुदी को कर बुलन्द इतना कि ख़ुद दस्ते-करम निकले
ऐसे इंकलाबी और प्रेरणास्रोत विचारों के सृजक को मेरा शत् शत् नमन!!
खुदा इनकी रूह को तस्कीन-ए-अर्श अता करे!
भारद्वाज जी की दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि...
Prem jee ke dehant par ham sab
haiN dukhee or udaas mahfil hai
de khuda unke ahl-e-khanaa ko sabr
haaN yahee meree dua'aa-e-dil hai
Khurshidul Hasan Naiyer
दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि...
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