उसका है अज़्मे-सफ़र और निखरने वाला
सख़्त मौसम से मुसाफ़िर नहीं डरने वाला
चारागर तुझसे नहीं मुझको तवक़्क़ो कोई
दर्द होता है दवा हद से गुज़रने वाला
नाख़ुदा ! तुझको मुबारक हो ख़ुदाई तेरी
साथ तेरे मैं नहीं पार उतरने वाला
उसपे एहसान ये करना न उठाना उसको
अपने पैरों पे खड़ा होगा वो गिरने वाला
पार करने थे उसे कितने सवालों के भँवर
अटकलें छोड़ गया डूब के मरने वाला
मैं उड़ानों का तरफ़दार उसे कैसे कहूँ
बालो-पर है जो परिन्दों के कतरने वाला
क्यूँ भला मेरे लिए इतने परेशान हो तुम
एक पत्ता ही तो हूँ सूख के झरने वाला
अपनी नज़रों से गिरा है जो किसी का भी नहीं
साथ क्या देगा तेरा ख़ुद से मुकरने वाला
ग़र्द हालात की अब ऐसी जमी है, तुझ पर
आईने ! अक्स नहीं कोई उभरने वाला
ये ज़मीं वो तो नहीं जिसका था वादा तेरा
कोई मंज़र तो हो आँखों में ठहरने वाला
22 comments:
सर में आपका हमेशा फेन रहा हूँ और मरते दम तक रहूँगा ।
आपकी ये शानदार ग़ज़ल...
नई पुरानी हलचल में लिंक की जा रही है
कृपया कल की पोस्ट द्खें
यशोदा
HAI DWIJ KI ROOH PARWAR YEH GHAZAL
JIS MEIN HUSN E FIKR O FUN HAI ZAU FEGAN
लाजवाब गज़ल. सब अशआर एक से बढ़ कर एक. किसी एक शेर को कोट करना बहुत मुश्किल काम होगा.
द्विज जी बेशक आज के दौर के बेहतरीन शायरों में से एक हैं.
ये ज़मीं वो तो नहीं जिसका था वादा तेरा
कोई मंज़र तो हो आँखों में ठहरने वाला
बहुत खूब सर जी .
द्विजेंद्र जी ने ग़ज़ल के ख़ूबसूरत फ्रेम में सारे अशआर मोती की तरह जड़ दिए हैं। सारे मोतियों में चमक भी है और दिल को छू लेने वाला अहसास भी। बधाई-
उसपे एहसान ये करना न उठाना उसको
अपने पैरों पे खड़ा होगा वो गिरने वाला
देवमणि पांडेय (मुम्बई)
आज एक अरसे के बाद ग़ज़ल से मुलाकात हुई है
ख़रामा ख़रामा वोह आई और दिल में उत्तर ,,,,,,
चाँद शुकला हदियाबादी
डेनमार्क
dhanyavaad mittro! is ghazal ke peechhe preranaa bhai raajev bharol kee rahee hai.aap sab kee tippaniyon ne ise saarthak kar diyaa hai. aabhaar
हर शेर बुलंदी पर खड़ा होकर खुद दाद दे रहा है।
उस्तादाना कलम से निकली यह उम्दा ग़ज़ल एक उदाहरण हो सकती है।
बधाई।
shaandaar sher hain saare ke saare
aaj pehli bar apki gjle dekhi sch mai bhut achi lgi YEH ZMI WOH NHI.............
bhut achi lgi apki gzle fst time pra hai bhut acha likha hai
bhut achi lgi apki gzle fst time pra hai bhut acha likha hai
aaj pehli bar apki gjle dekhi sch mai bhut achi lgi YEH ZMI WOH NHI.............
aaj pehli bar apki gjle dekhi sch mai bhut achi lgi YEH ZMI WOH NHI.............
चारागर तुझसे नहीं मुझको तवक्को कोई
दर्द होता है दवा, हद से गुजरने वाला ....
गर्द हालात की अब ऐसी जमी है तुझ पर
आईने ! अक्स नहीं कोई उभरने वाला ...
ऐसे ऐसे नायाब अश`आर के ख़ालिक़ जनाब द्विज जी
की ग़ज़लों को पढना, ज़िन्दगी से बातें करना ही तो है...
हर दर्द, हर ख़ुशी, हर लम्हे को बड़े ही सलीक़े से माक़ूल अलफ़ाज़ देकर
सुनने/पढने वालों तक हर बार एक असरदार रचना पहुंचा पाना
बस द्विज साहब की ही महारत है ... वाह !
मुबारकबाद .
"दानिश"
waah,bahut hi umda.....
दौर के क़ाबिल और प्रेरक शायर द्विजेन्द्र द्विज जी की ग़ज़लों के शेर अक्सर पढ़ने वाले के क़दमों को आगे बढ़ने से रोकते हैं और मेरे नज़दीक किसी शायर के लिये ये बहुत बड़ी क़ामयाबी होती है। सतपाल भाई मेरे पसंदीदा शायर की ग़ज़ल पढ़वाने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया।
DD Sahab,
Waah waah...DD Sahab kya kahne..
laajwaab kya kya she'r kah diye
aapne..dili mubaarakbaad kubool farmaayen..
Shubhkaamnaaon sahit,
Satish Shukla 'Raqeeb'
Juhu, Mumbai
Kya khoob sher hue hai bhayee sabhi.. sher kya daleeleN hai sab.. aur sachi hai ...
♥
चारागर तुझसे नहीं मुझको तवक़्क़ो कोई
दर्द होता है दवा हद से गुज़रने वाला
सुब्हानअल्लाह !
जवाब नहीं आपका प्रियवर द्विजेन्द्र द्विज जी !
ग़ज़ल क्या है , एक बेशक़ीमती तोहफ़ा है…
आपके अश्'आर , आपकी ग़ज़लियात दिल और दिमाग़ की ख़ुराक है … … …
देते रहें पढ़ने के मौके ज़्यादा से ज़्यादा …
भाई सतपाल जी का आभार !
हार्दिक मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
bahut hi umda ghazal hai. mere blog www.utkarsh-meyar.blogspot.in par aapka swagat hai
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