Wednesday, March 19, 2014

बलवान सिंह "आज़र"













गज़ल

जिन्दगी कुछ थका थका हूँ मैं
देख ले लड़खड़ा रहा हूँ मैं

रेत में ढूँढता रहा मोती
क्या कहूं कितना बावला हूँ मैं

जा चुका मेरा काफिला आगे
था जहां पर वहीं खड़ा हूँ मैं


खूबियां पूछता है क्यों मेरी
कुछ बुरा और कुछ भला हूँ मैं

अपनी सूरत कभी नहीं देखी
लोग कहते हैं आइना हूँ मैं

3 comments:

Vandana Ramasingh said...

खूबियां पूछता है क्यों मेरी
कुछ बुरा और कुछ भला हूँ मैं

बहुत खूब

Asurendra Ambedkar Buddhvanshi said...

बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल आज़र भाई
""लोग कहते हैं आइना हूँ मैं ""
very good !!!!!

Unknown said...


वाह ...
अपनी सूरत कभी नहीं देखी
लोग कहते हैं आइना हूँ मैं