कौन है वो जिसका ये दृश्य देखकर दिल न पसीज़ जाए | कोविड से मरने वाले एक-एक नाम को कितनी संवेदना से सहेजा है अमेरिका ने | हर एक शख्स के नाम का एक सफेद छोटा सा झंडा | एक संवेदनशील राष्ट्र को ऐसा ही होना चाहिए | हैं न मानवता की दिल को छु लेने वाली मिसाल ,दिल कहता है न कि सलाम है ऐसे राष्ट्र को ,ऐसी मनवता को |
लेकिन ये सब देखते हुए मुझे बहुत कुछ याद आया ,मुझे याद आया सरकार का ये कहना की आक्सीजन की कमी की वजह से किसी की मौत नहीं हुई ,मुझे याद सरकार का मृत परिवारों को मुआवज़े से इनकार करना | याद आया मुझे कविड के समय भेड़ों जैसे लोगों का सैलाब और हमारे नेताओं को इस हजूम को देखकर मुस्कुरान भी याद है मुझे ,याद है मुझे सिलेंडर की दरकार करते लोग ,नदियों में तैरती लाशें |
क्या कहें ? संवेदनशील होने के लिए कोई मूल्य नहीं चुकाना पड़ता ,मानवता कोई मंहगी चीज़ नहीं है ,पूछो आज अपने आप से कितने संवेदनशील हैं हम ? दुनिया हमें देख रही है ,उसे हमारे इश्तिहार भरमा नहीं सकते | यहाँ के गरीब -गुरबा वर्ग से अगर आप उसका हाल ही पूछ लो कि कैसे हो , तो वो खुश हो जाता है | लोगों को रोटी के साथ सम्मान भी मिलना चाहिए |
कोविड मेमोरियल की ये तस्वीरें हमें प्रेरित करती हैं की हम सीखें कि संवेदना क्या है ? मानवता क्या है ???
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