पिता का नाम: श्री खरूदी राम जरयाल
जन्मतिथि : 28-04-1969
शिक्षा : स्नातक , प्रभाकर
प्रकाशित साहित्य : कसक हिन्दी काव्य संग्रह , मधुमास ग़ज़ल संग्रह , दस साझा संग्रहों में रचनाएं प्रकाशित ।पता : गांव व डाकघर बोह, उपतहसील दरीणी , तहसील शाहपुर , जिला कांगड़ा , हिमाचल प्रदेश । पिन कोड -176206
मोबाइल नंबर - 9817768661
ग़ज़ल
जब कठिन रिश्ता निभाना हो गया
दर्द का दिल में ठिकाना हो गया
प्रीत की चादर पे शर्तें जब तनीं
लुप्त सारा ताना-बाना हो गया
वो चले जाने से पहले कह गए
खत्म अब रिश्ता पुराना हो गया
उन सुहाने मौसमों के वक्त को
दिल से गुज़रे इक ज़माना हो गया
हम हकीकत में न जा पाए मगर
उनके दर सपनों में जाना हो गया
क्यों मेरी खुशियां जहां को चुभ गईं
हर नज़र का मैं निशाना हो गया
हर कदम सीखा बहुत कुछ ज़िन्दगी
बस तेरा मिलना बहाना हो गया
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झील की गहराइयों से क्या डराओगे
वक्त की परछाइयों से क्या डराओगे
हम पहाड़ों पर भी नंगे पांव चलते हैं
तुम हमें कठिनाइयों से क्या डराओगे
हमने रांझे का ही तो किरदार भोगा है
प्रीत में रुसवाइयों से क्या डराओगे
भीड़ से हमने किनारा ही किया अक्सर
तुम हमें तन्हाइयों से क्या डराओगे
उम्र के ढलने का मतलब जानता हो जो
झुर्रियों से , झांइयों से क्या डराओगे
गिरने और संभलने में ही ज़िन्दगी बीती
तो बताओ खाइयों से क्या डराओगे
ज़िन्दगी का फैसला स्वीकार है "जरयाल"
तुम कड़ी सुनवाइयों से क्या डराओगे
9 comments:
बेहतरीन गज़लें....
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 30 नवम्बर 2021 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
हम पहाड़ों पर भी नंगे पांव चलते हैं
तुम हमें कठिनाइयों से क्या डराओगे
वाह! बेहतरीन ग़ज़ल
वाह!लाजवाब 👌
बेहतरीन ग़ज़लें ।
"भीड़ से हमने किनारा ही किया अक्सर
तुम हमें तन्हाइयों से क्या डराओगे" ... व्यवहारिक बातों से लबरेज़ ...
गहन लेखन...।
बेहद सुंदर कृति
bahut hi sundar .bahut accha laga padh ke
Poonam Maurya
prem sudha pahal patrika
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