Saturday, February 15, 2025

ताज़ा ग़ज़ल - सतपाल ख़याल


आख़िर  उन का  जवाब आ ही गया 
दिल के बदले गुलाब आ ही गया 

रोज़ बदला है  चाँद सा चहरा 
रफ़्ता -रफ़्ता शबाब आ ही गया 

बस इशारा सा इक किया उस ने 
लेके साक़ी शराब आ ही गया 

साथ लाया उदासियाँ अपने   
इश्क़ ले  कर अज़ाब आ ही गया 

उस ने देखा पलट-पलट के "ख़याल"
कोशिशों का जवाब आ ही गया