Wednesday, March 5, 2025

तहज़ीब हाफ़ी -बड़े शायर का बड़ा शे'र - पांचवीं क़िस्त


पेड़ मुझे हसरत से देखा करते थे
मैं जंगल में पानी लाया करता था

तहज़ीब हाफ़ी की शोहरत उसकी शायरी से बड़ी है और बहुत कम शायरों को ये नसीब होती है | मुशायरों में बहुत क्रेज़ है इनका और मुशायरे की शायरी थोड़ी अलग होती है जो वाह वाही की ज़्यादा परवाह करती है और तहजीब हाफ़ी ने युवा श्रोताओं की नब्ज़ पकड़ी है | इंटरनेट की दुनिया का सबसे पापुलर शायर है हांफ़ी|  पाकिस्तानी पंजाब के तौंसा शरीफ़ में 1989 में इनका जन्म हुआ | यहाँ की मिट्टी शायर और शायरी के शौकीन ज़्यादा पैदा करती है और लोग ज़मीन से जुड़े हुए सादगी पसंद  हैं | 

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सहरा से हो के बाग़ में आया हूँ सैर को
हाथों में फूल हैं मिरे पाँव में रेत है

मिरे हाथों से लग कर फूल मिट्टी हो रहे हैं
मिरी आँखों से दरिया देखना सहरा लगेगा

If you ask me I would say -Poetry is romance with sadness 

T.S. Eliot“Poetry is not an expression of personality but an escape from personality.”

शायर फ़रार  चाहता है  जैसे ग़ालिब कहता है -

रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न हो
हम-सुख़न कोई न हो और हम-ज़बाँ कोई न हो
मिर्ज़ा ग़ालिब





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