Saturday, April 19, 2014

विकास राना की एक ग़ज़ल

                                        










एक बहुत होनहार और नये लहज़े के मालिक विकास राना "फ़िक्र" साहब की एक ग़ज़ल हाज़िर है-

ग़ज़ल

आदमी कम बुरा नहीं हूँ मैं

हां मगर बेवफा नहीं हूँ मैं

मेरा होना न होने जैसा है
जल चुका हूँ, बुझा नहीं हूँ मैं

सूरतें सीरतों पे भारी हैं
फूल हूँ, खुशनुमा नहीं हूँ मैं

थोड़ा थोड़ा तो सब पे ज़ाहिर हूँ
खुद पे लेकिन खुला नहीं हूँ मैं

रास्ते पीछे छोड़ आया हूँ
रास्तो पे चला नहीं हूँ मैं

ज़िंदगी का हिसाब क्या दूं अब
बिन तुम्हारे जिया नहीं हूँ मैं 

धूप मुझ तक जो आ रही है " फ़िक्र "
यानी की लापता नहीं हूँ मैं

20 comments:

Unknown said...

So heart touching.. Really good !!

Unknown said...

So heart touching.. Really good !!

Rashmi sharma said...

HAMESHAN KI TARAH YE GAZAL BHI LAJWAAB HUI HAI ,,,,,,,,SOCHA THA KUCHH SHER CHUN LOON,,BAAR BAAR PADAA PAR ,,,EK PE EK BHARI PAAYA ,,,,,,,CONGRATES

Urmila Madhav said...

(Y)

Urmila Madhav said...
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Urmila Madhav said...

बहुत खूब है... हमारी दुआएं आपके साथ हैं...

ppktyagi said...

Wahh bahut khoob

Bharti ki duniya said...

Wah....bahut sunder....

Vandana Ramasingh said...

धूप मुझ तक जो आ रही है " फ़िक्र "
यानी की लापता नहीं हूँ मैं

शानदार ग़ज़ल आदरणीय

तिलक राज कपूर said...

सूरतें सीरतों पे भारी हैं
फूल हूँ, खुशनुमा नहीं हूँ मैं
बहुत खूब।

अनुराग सिंह "ऋषी" said...

वाह बेहतरीन ग़ज़ल बेहतरीन रवानी के साथ लाजवाब
सादर

Vikas Rana "Fikr" said...
This comment has been removed by the author.
Vikas Rana "Fikr" said...

thank you ji

Vikas Rana "Fikr" said...

shukriyaa ji....

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना said...

सुन्दरम् ....अति सुन्दरम् ...:)

Aparna Bose said...

थोड़ा थोड़ा तो सब पे ज़ाहिर हूँ
खुद पे लेकिन खुला नहीं हूँ मैं…… क्या बात !! बाकि सारे शेर भी उम्दा से कम नहीं

रश्मि शर्मा said...

धूप मुझ तक जो आ रही है " फ़िक्र "
यानी की लापता नहीं हूँ मैं....;क्‍या बात है...खूब

Unknown said...

बहुत सुन्दर गजकर्णी वाह वाह

Unknown said...

बहुत सुन्दर गजकर्णी वाह वाह

Unknown said...

बहुत सुन्दर गजल वाह वाह